Searching...
Thursday, January 2, 2020

कुटीर उद्योग या लघु उद्योग Kutir Udhyog ya Laghu Udhyog hindi essay 285 words

January 02, 2020
आज का युग छोटे-बड़े उद्योगों का युग है।  इस प्रकार के उद्योग-धंधों के मूल में ऐसे घरेलू किस्म के छोटे-छोटे काम-धंधों की परिकल्पना छिपी है, जिन्हें छोटे से स्थान पर थोड़ी पूंजी और श्रम से स्थापित कर कोई भी व्यक्ति उत्पादन का भागीदार बन अपनी रोजी-रोटी की समस्या हल कर सकता है

 भारत जैसे गरीब, अल्पविकसित और अल्प साधनों वाले देश के लिए इस प्रकार के छोटे उद्योग-धंधे ही हितकर हो सकते हैं, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे नेताओं ने इस ओर कतई ध्यान नहीं दिया। बड़े-बड़े उद्योग-धंधे यहां पनपे और वह भी समर्थ लोगों की नीजी संपति बनकर रह गए।



आज नगर और गांव दोनों स्तरों पर अनेक प्रकार के घरेलू उद्योग स्थापित हो रहे हैं। सरकार ने कुछ विशेष प्रकार के उत्पादनों को बड़े उद्योगों की सीमा से बाहर और सिर्फ छोटे उद्योगों के लिए सीमित कर दिया है। इस प्रकार आज के अनेक लघु उद्योग वास्तव में बड़े उद्योगों के पूरक और सहकारी बनकर पनप रहे हैं। उनके लिए उचित हाट-बाजार की भी व्यवस्था है।

वास्तव में कुटीर-उद्योगों की स्थापना का उद्यमी लोगों को बहुत लाभ पहुंच रहा है। बहुत सारे बेकार शिक्षित या अर्धशिक्षित, तकनीकी ज्ञान रखने वाले लोग सरकारी सहायता या निजी साधनों से इस प्रकार के उद्योग स्थापित कर अपनी बेकारी की समस्या तो हल कर ही पा रहे

ग्रामों में इस प्रकार के उद्योग-धंधे स्थापित करने की आवश्यकता मुद्दत से महसूस की जा रही थी, क्योंकि वहां खेती-बाड़ी का काम बारहों महीने नहीं चला करता। अक्सर आधा साल लोग बेकार रहा करते हैं।

बेकार मन भूतों का डेरा यह कहावत चरितार्थ होती है उनके छोटी-छोटी बातों से उत्पन्न झगड़ों में। फिर शिक्षा-प्रचार के कारण ग्राम-युवक पढ़-लिख या तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर हमेशा नौकरी तो पा नहीं सकते। अत: वहां मुर्गी-पालन, भेड़-पालन, मधुमक्खी पालन, दुज्धोत्पादन जैसे लघु उद्योग तो शुरू किए ही जा सकते हैं।

 छोटे-मोटे कल-पुर्जों, खिलौने आदि बनाने के भी काम हो सकते हैं। धीरे-धीरे उनका विस्तार भी हो सकता है। प्रसन्नता की बात है कि आज गांव के युवा अपनी कल्पना और ऊर्जा का उपयोग इस दिशा में करने लगा है। इससे नगरों की भीड़ भी कम होगी। ग्राम-जनों को रोजगार के साधन वहीं मिल सकेंगे। अपने घर-परिवेश में रहकर व्यक्ति जो कुछ कर सकता है, अन्यत्र नहीं। अत: इस ओर और भी अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। वह दिया भी जाने लगा है, इसे सुखद स्थिति और सुखद भविष्य का सूचक मानकर सुख-संतोष का अनुभव कर सकते हैं।

0 comments:

Post a Comment