Searching...
Tuesday, January 1, 2019

” यदि मैं प्रधानमंत्री होता” Hindi Essay on “Yadi mein Pradhan Mantri Hota” , (500 words)

January 01, 2019

यदि मैं प्रधानमन्त्री होता 
Yadi mein Pradhan Mantri Hota
हमारा देश भारतवर्ष एक स्वतन्त्र व गणतन्त्र देश है। यहां प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्रतापूर्वक अपने विचारों को प्रकट करता है। कोई व्यक्ति राष्ट्रपति, कोई डाॅक्टर, कोई वकील, कोई पुलिस, कोई क्रिकेटर तथा कोई प्रधानमन्त्री बनना चाहता है। मै भी प्रधानमन्त्री बनने की इच्छा रखता हूं।
कोई भी योग्य व्यक्ति व्यस्क मताधिकार के द्वारा जो भारत का नागरिक हो, प्रधानमन्त्री बन सकता है। प्रधानमन्त्री का पद बहुत गरिमा व उत्तरदायित्व का होता है।
मेरे स्वप्न- सौभाग्य ये यदि मैं भारत का प्रधानमन्त्री होता तो सबसे पहले मैं राष्ट्र के विकास व उत्थान के लिए कार्य करता। मैं इस विशाल देश में जाति-पाति और धर्म के नाम पर होने वाले झगड़ों को समाप्त कर सम्पूर्ण भारतवासियों के मन में एकता की भावना उत्पन्न करता, क्योंकि एकता में बहुत शक्ति होती है। यदि पूरा देश एक साथ मिलकर रहे तो इस देश का कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
मेरी योजनाएं- हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है जिस कारण माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते तथा प्रारम्भ में ही उन्हें काम पर लगा देते हैं जैसे बच्चों में अज्ञानता व अशिक्षा रहती है। अतः यदि मैं प्रधानमन्त्री होता तो मैं बच्चों में शिक्षा की भावना जागृत करता, क्योंकि आज के बच्चे ही कल के देश का उज्जवल भविष्य हैं।
हमारे देश की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। इसलिए भारतीय कृषि में सुधार लाने की अत्यन्ता आवश्यकता है। वैज्ञानिक पद्धति द्वारा ही कृषि में सुधार सम्भव है। इसके लिए मैं नए-नए उपकरणों उत्तम बीज और अच्छी खाद के लिए किसानों को प्रेरित करता। बैंक प्रणाली विकसित करता ताकि किसानों की सरलता से ऋण प्राप्त हो जाते तथा उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती।
उत्थान के कार्य- यदि मैं प्रधानमन्त्री होता तो देश के उत्थान के साथ-साथ समाज कल्याण की ओर भी मैं विशेष ध्यान देता। दलित वर्ग पिछली जाति, अपाहिज व निर्धनांे को सुविधाएं प्रदान करता।
दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं की सुगमता से उपलब्ध करवाने के लिए जगह-जगह सदर बाजारों का निमार्ण करवाता ताकि जनता को एक ही जगह से बहुत सारी वस्तुएं प्राप्त हो जाती। मैं देश की आन्तरिक शान्ति एवं समृद्धि के लिए हर सम्भव प्रयास करता। प्रत्येक व्यक्ति के लिए अन्न, वस्त्र तथा रहने की व्यवस्था कराने का प्रयत्न करता।
उपसंहार- इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार फैलाने वाले कर्मचारियों की अपनी नौकरी से निलम्बित करता। देश के विभाजनकारी एवं विघटनकारी तत्वों के लिए प्राणदण्ड की व्यवस्था करता।
नशीली वस्तुओं के उत्पादन तथा उपयोग पर पाबन्दी लगाता और उसका कठोरता से पालन करवाता। अपराधी पर अंकुश लगाने के लिए वर्तमान कानूनों में मौलिक परिवर्तन करता। असामाजिक तत्वों से प्रेम से भाईचारे एवं न्याय तथा स्नेह का पाठ पढ़ाते हुए सुधार लाता और अगर आवश्यकता पड़ती तो सख्त-से-सख्त कानून भी लागू करता।
इस प्रकार यदि मैं भारत का प्रधानमन्त्री होता तो अपने देश भारतवर्ष को विश्व में पूर्ण सम्मान दिलवाता। जिससे मेरा देश भारत फिर से ‘सोने की चिड़िया‘ के नाम से विख्यात होता तथा भारत देश विकासशील देश के बजाय विकसित देशों की श्रेणी में आ जाता। विकसित देशों में मैं जापान का नाम लेना आवश्यक समझता हूं।

0 comments:

Post a Comment