हमारा देश भारतवर्ष एक स्वतन्त्र व गणतन्त्र देश है। कोई भी योग्य व्यक्ति व्यस्क मताधिकार के द्वारा जो भारत का नागरिक हो, प्रधानमन्त्री बन सकता है। प्रधानमन्त्री का पद बहुत गरिमा व उत्तरदायित्व का होता है।
सौभाग्य ये यदि मैं भारत का प्रधानमन्त्री होता तो सबसे पहले मैं राष्ट्र के विकास व उत्थान के लिए कार्य करता। मैं इस विशाल देश में जाति-पाति और धर्म के नाम पर होने वाले झगड़ों को समाप्त कर सम्पूर्ण भारतवासियों के मन में एकता की भावना उत्पन्न करता, क्योंकि एकता में बहुत शक्ति होती है। यदि पूरा देश एक साथ मिलकर रहे तो इस देश का कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
मेरी योजनाएं- यदि मैं प्रधानमन्त्री होता तो मैं बच्चों में शिक्षा की भावना जागृत करता, क्योंकि आज के बच्चे ही कल के देश का उज्जवल भविष्य हैं।
हमारे देश की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। इसलिए भारतीय कृषि में सुधार लाने की अत्यन्ता आवश्यकता है। मैं नए-नए उपकरणों उत्तम बीज और अच्छी खाद के लिए किसानों को प्रेरित करता। बैंक प्रणाली विकसित करता ताकि किसानों की सरलता से ऋण प्राप्त हो जाते तथा उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती।
उत्थान के कार्य- यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो स्त्रियों की सुरक्षा और शिक्षा हेतु प्रयास करता। मैं देश मैं फैले भ्रटाचार को ख़तम करने के लिए कठोर नियम बनता। देश के युवाओ स्वरोजगार के अवसर ढूंढने के लिए प्रोत्साहित करता।
नशीली वस्तुओं के उत्पादन तथा उपयोग पर पाबन्दी लगाता और उसका कठोरता से पालन करवाता।
इस प्रकार यदि मैं भारत का प्रधानमन्त्री होता तो अपने देश भारतवर्ष को विश्व में पूर्ण सम्मान दिलवाता। जिससे मेरा देश भारत फिर से ‘सोने की चिड़िया‘ के नाम से विख्यात होता तथा भारत देश विकासशील देश के बजाय विकसित देशों की श्रेणी में आ जाता। विकसित देशों में मैं जापान का नाम लेना आवश्यक समझता हूं।
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