यात्रा या भ्रमण उदेश्श्य प्राकृतिक और भौगोलिक विभिन्नताओं – विविधताओं से संपन्न अपने देश के अलग – अलग भू -भागों, प्रांतों का भ्रमण करके वहां के रूप – रंग, रहन -सहन, रीती – नीतियों, आदि को दर्शन करना उन्हें निकट से देख सुनकर वहां की विशेष्यज्ञाताओं को जानना है।
देश भ्रमण से मनोरंजन के साथ स्वास्थ्य लाभ तो हुआ ही करता है, और साथ ही व्यक्ति के मन- मष्तिस्क में जो अनेक प्रकार की जिज्ञासाओं का हल भी होता है। आप को बड़ा विद्वान ज्ञानवान और जानकार मानने वाला व्यक्ति देश – विदेश में घूम कर जान पता है कि वास्तव में वह कितना अल्पज्ञ है। इस प्रकार देशाटन व्यक्ति के अपने सम्बन्ध में पास रखे गए भ्रम – निवारण का भी एक कारन बनकर उसे जीवन की वस्तविक धरातल पर ले अपने का सुखद, शांतिप्रद कारण बन जाया करता है।
यात्रा करने वाला व्यक्ति प्रकृति के विभिन्न और विविध स्वरूपों के साथ साक्षात्कार कर पाने का सौभाग्य भी सहज ही प्राप्त कर लेता है। वह देख पाता है कि प्रकृति ने कहीं तो हरी – भरी और बर्फानी पर्वतमालाओं से धरती को ढक रखा है। इसी प्रकार कहीं रूखी – सूखी गरम और नंगी पर्वतमालाएं हैं जहाँ छितराये पेड़ – पौधें, वनस्पतियों आदि स्वयं भी छाया के लिए तरसा करती हैं लम्बे – चौड़े, धुल – माटी आँखों – सिर में झोंकने को आतुर रेतीले टीलों वाले रेगिस्तान दिखाई देकर प्रकर्ति की बनावट कर आश्चर्य करने को बाध्य कर दिया करते हैं
यात्रा करके ही इन विविधताओं को जाना और अनुभव किया जा सकता है। यात्रा करते समय विभिन्न रंग – रूप और बनावट वाले लोग तो देखने – सुनने को मिलता हैं। यात्रा करने वाला व्यक्ति विभिन्न और विविध जानकारियो का चलता – फिरता ज्ञान भंडार बन जाया करता है । इसलिए अवसर और सुविधा जुटाकर देश – विदेश की यात्रा अवश्य करना चाहिए ।
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