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Tuesday, January 1, 2019

देश-विदेश की सैर / यात्रा का महत्व, imporatance of travelling essay in hindi,700 words

January 01, 2019


देश +अटन इन दो शब्दों में संधि होने से बना है एक नया शब्द – देशाटन। ‘देश’ किसी ऐसे विशेष भू – भाग को कहा जाता है, जिसे प्रकृति ने अपने विभिन्न और विविध रूपों वाले, विभिन्न और विविध प्रकार की सम्पत्तियों से संपन्न बनाया होता है। उन्हीं के कारण  एक ही देश का भाग या प्रान्त दूसरे भाग या प्रान्त से अलग कहलाता है। इसे हम प्रकृति द्वारा देश का भोगोलिक विभाग और वैविधय भी कहलाता है, जो अपने आप में संपूर्ण एवं महतवपूर्ण हुआ करता है।
शब्द ‘ देशाटन ‘ का व्यापक और विशेषयज्ञ अर्थ है  प्राकृतिक और भौगोलिक विभिन्नताओं – विविधताओं से संपन्न अपने देश के अलग – अलग भू -भागों, प्रांतों का भ्रमण करके वहां के रूप – रंग, रहन -सहन, रीती – नीतियों, आदि को दर्शन करना उन्हें निकट से देख सुनकर वहां की विशेष्यज्ञाताओं को जानना। जहाँ तक सीमित या व्यापक अर्थों में देशाटन के उद्देश्य प्रयोजन या लाभ आदि का प्रश्न है वह चाहे अपने देश के विभिन्न भागों या प्रांतों का किया जाये अथवा संसार के विभिन्न देशों का उनमे समानता ही रहती है। व्यक्ति दोनों दशाओं में  समान रूप से लाभान्वित होता है, जबकि देशाटन से विभिन्न देशों की विशेषताएं देखि और समझी जा सकती है।
 देश भ्रमण से मनोरंजन के साथ  स्वास्थ्य लाभ तो हुआ ही करता है,  और साथ ही व्यक्ति के मन- मष्तिस्क में जो अनेक प्रकार  की जिज्ञासाओं का  हल भी होता है। इसी प्रकार जैसे कि कहावत बनी हुई है ऊँठ को अपनी उचाई की वास्तविकता का एहसास तभी हो जाता है, जब वह पहाड़ के निचे से गुजरता होता है अर्थात अपने – आप को बड़ा विद्वान  ज्ञानवान और जानकार मानने वाला व्यक्ति देश – विदेश में घूम कर जान पता है कि वास्तव में वह कितना अल्पज्ञ है। इस प्रकार देशाटन व्यक्ति के अपने सम्बन्ध में पास रखे गए भ्रम – निवारण का भी एक कारन बनकर उसे जीवन की वस्तविक धरातल पर ले अपने का सुखद, शांतिप्रद कारण बन जाया करता है।
यात्रा  करने वाला व्यक्ति प्रकृति के विभिन्न और विविध स्वरूपों के साथ साक्षात्कार कर पाने का सौभाग्य भी सहज ही प्राप्त कर लेता है। वह देख पाता है कि प्रकृति ने कहीं तो हरी – भरी और बर्फानी पर्वतमालाओं से धरती को ढक रखा है। वहां  की पर्वतमालाओं की बर्फ – ढंकी चोटियां इतनी ऊँची हैं कि उन्हें पार कर पाना यदि संभव नहीं तो कठिनतम कार्य आवश्यक है। इसी प्रकार कहीं रूखी – सूखी गरम  और नंगी पर्वतमालाएं हैं जहाँ छितराये पेड़ – पौधें, वनस्पतियों आदि स्वयं भी छाया  के  लिए तरसा करती हैं लम्बे – चौड़े, धुल – माटी आँखों – सिर में झोंकने को आतुर रेतीले टीलों  वाले रेगिस्तान दिखाई देकर प्रकर्ति की बनावट कर आश्चर्य करने को बाध्य कर दिया करते हैं कहीं आर – पार , दृष्टि रेगिस्तान दिखाई देकर प्रकृति की  बनावट कर आश्चर्य करने को बाध्य कर दिया करते हैं कहीं आर – पार, दृष्टि सीमा के भी उस पार तक फैले सागर – जल का विस्तार अपनी उत्ताल तरंगों से मन को मोह लिया करता है।
इसी प्रकार कहीं तो हमेशा बसंत का गुलज़ार रहता है और कहीं सर्दी के प्रकोप से पल भर के लिए मुक्ति नहीं मिल पाती। कहीं वर्षारानी की रिमझिम पायल बोर कर देने की सीमा तक बजती रहती है और कहीं सख़्त गर्मी से व्याकुल चेतना उसकी  कुछ बौछारें पाने को तरस जाती हैं। देशाटन करके ही इन विविधताओं को जाना और अनुभव किया जा सकता है। देशाटन करते समय विभिन्न रंग – रूप और बनावट वाले लोग तो देखने – सुनने को मिलता ही हैं। उनके रंग – बिरंगे वेश – भूषा, रहन  – सहन, रीती – रिवाजों, उत्सव – त्योहारों, भाषा- बोलियों, सभ्यता, संस्कृतियों के रूप भी उजागर होकर मन को  मुग्ध कर लिया करते हैं । इस सबसे अटन करने वाला व्यक्ति विभिन्न और विविध जानकारियो का चलता – फिरता ज्ञान भंडार बन जाया करता है । वह सुख – दुःख की हर स्तिथि का सामना कर पाने में समर्थ, उदार- ह्रदय सबकी सहायता करने को हमेशा तत्पर रहना भी सीख  लेता है । इसलिए अवसर और सुविधा जुटाकर देश – विदेश का अटन अवश्य  करना चाहिए । मानवीयता को  विस्तार देशाटन का सर्वाधिक श्रेष्ठ लाभ  कहा – माना जा सकता है ।

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