आज शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। पूर्ण शिक्षा न भी सही, क्योंकि महंगी और विषम परिस्थितियों वाले युग में वह सभी के लिए शायद संभव भी नहीं, पर कम से कम साक्षर तो सभी हो ही समते हैं। व्यक्ति अपने पत्र आदि स्वंय पढ़-लिख सके, कहीं अंगूठा लगाने या हस्ताक्षर करने से पहले यह जान सके कि ऐसा सब क्यों और किसलिए कर रहा है, यदि कर रहा है तो उसके भविष्य के लिए वह सब उचित है या अनुचित जैसी सामान्य जानकारियों के लिए साक्षर होना प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक है। ऐसा होने पर ही सामान्य-विशेष, नगर-निवासी या आम गा्रमीण अपने आपको चुस्त-चालाक और धोखेबाज-व्यक्तियों से बचा सकता है।
‘साक्षरता’ शब्द का सामान्य प्रचलित अर्थ क्या है, यह जानकर भी इसकी आवश्यकता पर विचार किया जा सकता है। ‘साक्षरता’ का सामान्य अर्थ है ‘अक्षर ज्ञान’ अर्थात विशेष शिक्षा-प्राप्त न होने पर भी कम-से-कम इतना ज्ञान तो हर व्यक्ति को रहना ही चाहिए कि वह किसी एक या अधिक भाषाओं के अक्षरों का ज्ञान अच्छी तरह रखता हो। उन अक्षरों को जोडक़र कुछ पढ़, अपना नाम आदि पढ़-लिख सकता हो। ‘साक्षरता’ शब्द का अर्थ मात्र इतना ही है और इसी भावना से उसका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। निरक्षर व्यक्ति अनकेश भायवह दुर्घटनाओं का शिकार हो जाया करता है। होता ऐसे है कि निरक्षर व्यक्ति किसी महाजन से लेता तो मात्र पांच रुपए है, पर अंगूठा पांच सौ पर लगा लिया जाता है।
साक्षर व्यक्ति अपनी चिट्ठी-पत्री तो स्वंय लिख-पढ़ ही सकता है, मनीऑर्डर फॉर्म भी खुद भर सकता है। आजकल कई चीजें पैकेट में बिकती हैं। उन पर कीमत, पैकेट बनाने और वस्तु के सुरक्षित रहने की तारीख आदि उस पर लिखी रहती है। दवाइयों की पैकिंग पर भी यह सब लिखा रहता है। साक्षर व्यक्ति खरीदते समय यह सब देखकर खरीद सकता है। निरक्षर को कई बार तारीख के बाद की वस्तु या दवा थमा दी जाती है। उसके खाने से अच्छे-भले आदमी की जान तक जा सकती है, मरीज ऐसी दवाई खा या टीका लगवाकर मर सकता है। साक्षर को ऐसा रद्दी हो चुका माल नहीं थमाया जा सकता।
इस प्रकार स्पष्ट है कि साक्षर होने के लाभ-ही-लाभ हैं। जब व्यक्ति इस प्रकार के लाभ पा लेता है, तो फिर वह अपने बच्चों को भी निरक्षर नहीं रहने देना चाहता। हर आदमी को इतना पढऩा-लिखना तो आना चाहिए कि सामान्य चिट्ठी-पत्र या फॉर्म आदि भरने-भरवाने के लिए दूसरों की मिन्नत खुशामद नहीं करनी पड़े।
इस प्रकार आज के कंप्यूटरीकृत युग में प्रत्येक व्यक्ति के लिए पहले तो अच्छी-से-अच्छी शिक्षा पाकर चौकन्ना-चुस्त और जागरुक रहना आवश्यक है। यदि ऐसा संभव न हो सके, तो कम-से-कम अपना ओर अपने साथियों का हित साधने के लिए साक्षर होना तो परम ही आवश्यक है। इसके लिए उपलब्ध व्यवस्थाओं का लाभ उठाकर हर निरक्षर को यथासंभव शीघ्र साक्षर बनकर स्वतंत्र राष्ट्र का स्वतंत्र-जागरुक नागरिक प्रमाणित करने का प्रयास करना चाहिए।
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