समाचार-पत्र
Samachar Patra
समाचार-पत्र यानी अखबार आज के जीवन के हर दिन की होने वाली सुबह की पहली महत्ती आवश्यकता है। मनुष्य एक बुद्धिमान, विचारवान, विविध प्रकार के संपर्क-सूत्रों वाला सामाजिक प्राणी है। संसार के घटना-सूत्रों, विकास क्रमों तथा अन्यान्य अनेकविध बातों से कटकर वह अकेला तो एक पल के लिए भी नहीं रह सकता। दूसरे लोगों, दूसरे ग्रामों, शहरों, प्रांतों और देशों के साथ हमेशा संपर्क बनाए रखने के लिए आज मानव ने जो अनेक प्रकार के साधन जुटाए या अविष्यकार किए हैं, समाचार-पत्र उन सबमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण, सर्व-सुलभ, सस्ते से सस्ता साधन या अविष्कार स्वीकार किया जाता है। इसी कारण आज समाचार-पत्र जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। सुबह-सवेरे नींद से उठते ही आज के मनुष्य को सबसे पहली तलब समाचार-पत्र की ही हुआ करती है। यदि किसी दिन किसी कारणवश उसे समाचार-पत्र देर से मिलता या नहीं मिल पाता, तो उसका मन-मस्तिष्क एक विचित्र से अभाव से भर उठता है। अभाव की यह अनुभूति ही समाचार-पत्रों की आवश्यकता और महत्व को दिन के उजाले की तरह उजागर कर देती है।
समाचार-पत्र के अनुक उपयोग और लाभ हैं। वे हमें देश-विदेश के छोटे-बड़े, अच्छे-बुरे सभी प्रकार के समाचारों से प्रतिदिन परिचित कराते रहते हैं। देश के किस कोने में क्या घटा, विदेश में कहां संधि या युद्ध का वातावरण बना, किस देश ने कौन सा नया अविष्कार किया, नया प्रयोग किया, नई प्रगति की जैसी सभी बातें से समाचार-पत्र हमें घर बैठे ही परिचित करा देते हैं। राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक सभी क्षेत्रों की सब प्रकार की गतिविधियों का हमें अनके माध्यम से पता मिलता रहता है। मतलब यह है कि मानव-सभ्यता-संस्कृति प्रतिदिन क्या करती है, किस और बढ़ती है-ये सारी बातें समाचार-पत्र हमें घरों में बैठे-बिठाए ही बता दिया करते हैं। इसके अतिरिक्त-यानी ज्ञान देने और जानकारियां बढ़ाने के अतिरिक्त समाचार-पत्र हमारे लिए मनोरंजन की सामग्री भी उपलब्ध कराते हैं। पहली बात तो यह कि समाचार-प9 में दिए भिन्न प्रकार के समाचारों को पढऩा ही कम महत्वपूर्ण नहीं हुआ करता। उस पर उनमें दी गई साहित्यिक सामग्री प्राय सभी आयु-वर्ग के पाइक-वर्ग को एक प्रकार से मानसिक एंव बौद्धिक मनोरंजन भी प्रदान करती है। इस प्रकार रंजक और बौद्धिक, सभी प्रकार की खुराक समाचार-पत्र सहज ही जुटा देते हैं।
आज के समाचार-पत्र इन मुख्य लाभों के अतिरिक्त अन्य अनेक प्रकार से भी मानव-समाज की सेवा कर उसे लाभ पहुंचा रहे हैं। समाचार-पत्रों में मंडियों के भाव छपते हैं, नए उत्पादनों के विज्ञापन छपते हैं, सामाजिक, सांस्कृतिक, कला संबंधी सूचनांए छपती हैं, सरकारी घोषणाओं का प्रकाशन होता है, नौकरियों के विज्ञापन छपते हैं, जमीन-जायदाद बेचने-खरीदने की सूचनांए आती रहती हैं, कोर्ट-कचहरी की बातें छपती हैं-इस प्रकार की सभी या इनमें से कुछ बातें, सूचनांए हमारे लिए भी उपयोगी हो सकती हैं। यदि हमें नित्य समाचार-पत्र पढऩे की आदत न हो, तो भला हमें अपने लाभ की बातों का इतनी जल्दी पता कहां और कैसे लग सकता है? इसलिए हमें दैनिक समाचार-पत्र पढऩे की आदत अवश्य डालनी चाहिए।
आज सामाजिक संपर्क एंव संबंध बनाने-जोडऩे के भी समाचार-पत्रों को माध्यम बनाया जाता है। विवाह योज्य वर-वधुओं के विज्ञापनों की लोकप्रियता इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। समाचार-पत्रों में यह सूचनांए भी प्राय छपा करती हैं कि कहां क्या विशेष कार्यक्रम होने जा रहे हैं, कहां कौन-सा चलचित्र चल रहा है या सांस्कृतिक आयोजन हो रहा है। घर-बैठे ही इस प्रकार के इच्छित आयोजनों की जानकारी पाकर उनमें भाग ले सकते हैं।
दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, तिमारी, छमाही और वार्षिक के साथ-साथ सांध्य समाचार आदि समाचार-पत्रों के कई रूप हैं। दैनिक पत्रों में प्रतिदिन के समाचारों पर ही विशेष बल दिया जाता है। साप्ताहिक और पाक्षिक पत्रों का स्वरूप आलोचनात्मक अधिक होता है। विशेष प्रकार के महत्वपूर्ण समाचारों की आलोचना इनमें अधिक रहती है। आजकल कुछ फिल्म-संबंधी पाक्षिक भी प्रकाशित होने लगे हैं। मूलत: सभी पत्र-पत्रिकाओं का साहित्यिक एंव सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व ही अधिक हुआ करता है। इस दृष्टि से भी पत्र-पत्रिकाओं का महव् असंदिज्ध है।
इस प्रकार समाचार-पत्रों, इनके छोटे-बड़े विविध और विभिन्न रूपों का महत्व स्पष्ट है। वे हमें पढऩे की आदत डालते हैं, हमारा ज्ञान बढ़ाते और मनोरंजन भी करते हैं, हमारी रुचियों और विचारों का परिष्कार-विस्तार भी करते हैं। हमें बाकी दुनिया के साथ जोड़ते भी हैं। अत: हमें नियमित रूप से समाचार-पत्रों के अध्ययन की आदत डालनी चाहिए।
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