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Thursday, March 14, 2019

”कंप्यूटर के लाभ तथा हानियाँ” Hindi Essay on “Computer ke Labh tatha Haniya , 390 words

March 14, 2019
कंप्यूटर विज्ञान का एक ऐसा अविष्कार है जिसकी चर्चा सारे विश्व में हो रही है। कंप्यूटर विज्ञान की अदभुत देन है। कंप्यूटर की उपयोगिता को देखते हुए आज के युग को कंप्यूटर का युग कहा जाता है। आने वाले युग में सभी निर्णय कंप्यूटर ही करेगा तथा मनुष्य हाथ में हाथ धरे बैठा रहेगा। कंप्यूटर वास्तव में आज की सर्वाधिक आवश्यकता बन गया है।


कंप्यूटर को सबसे पहले चाल्र्स बैबज ने 1946 ई. में बनाया था।उसके बाद तो कंप्यूटर की अनेक पीढिय़ां आ चुकी हैं। वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है। यह एक ऐसा यंत्र है जो बिजली की शक्ति से संचालित होता है। यह मानव मस्तिष्क से भी तीर्व गति से गणता तक कर सकता है।

जोड़, भाग, गुणा, घटा आदि के साथ-साथ लघुत्तम, महत्तम एंव प्रतिशत आदि अनेक गणनांए यह बड़ी तीव्र गति से कर सकता है। सुपर कंप्यूटर एक सैकंड में करोड़ों गणनांए कर सकता है।

आज अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी, हॉलैंड, स्वीडन, ब्रिटेन आदि से इसे मानव मस्तिष्क का दर्जा मिल चुका है। भारत में भी कंप्यूटर विज्ञान का तीव्रता से विकास हो रहा है तथा हर क्षेत्र में उसकी सहायता लेकर कार्यक्षमता को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इसके उपयोग कारखानों में कल पुर्जे बनाने, डाक डांटने, रेल मांर्ग संचालन तथा टिक बांटना, शिक्षा, मौसम की जानकारी, वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरिक्ष विज्ञान, परिवहन व्यवस्था, विमान परिवहन, चिकित्सा, व्यापार, वीडियो खेलख् मुद्रण के साथ बिलियर्ड और शतरंज आदि के खेल बखूबी से खेलता है।

हमारे देश में सबसे पहला कंप्यूटर सन 1961 ई. में आया था। तब से आज तक दूसरे देशों में काफी कंप्यूटर हमारे देश में आए और अब ये यहां भी बनाए जा रहे हैं। इस समय यहां पर हजारों की तादार में कंप्यूटर हमारी बहुत मदद कर रहे हैं। बिजली के बिल बनाने व भेजने में इनका उपयोग किया जा रहा है। बैंकों में इसका उपयोग काफी सफल रहा है।

आज कंप्यूटर सभी क्षेत्रों में हमारी मदद कर रहा है। टिकटों के आरक्षण, समान की देखभाल और विमान में काम पर लगाने तथा वायु परिवहन को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी कंप्यूटर पर निर्भर है।।

कंप्यूटर को मावन मस्तिष्क से श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता क्योंकि कंप्यूटर प्रणाली का जन्मदाता भी तो मानव-मस्तिष्क ही है। साथ ही मानव मस्तिष्क में जो चिंतन-क्षमता, अच्छे बुरे की परख तथ अनुभूति सामथ्र्य है, वह कंप्यूटर में नहीं है। मानव मस्तिष्क कंप्यूटर की भांति भावना शून्य नहीं है।

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