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Friday, March 22, 2019

पुस्तकालय का महत्व Pustakalya Ka Mahatav 415 words

March 22, 2019



ऐसा स्थान जहां अनेक पुस्तरों को संगृहीत करके उनका एक विशाल भंडार बनाया जाता है। पुस्तकालय कहलाता है। पुस्तकालय ज्ञान के वे मंदिर हैं जो मानव इच्छा को शांत करते हैं, उसे विभिन्न विषयों पर नई जानकारियां उपलब्ध करते हैं, ज्ञान के संचित कोश से उसे निश्चित करते हैं। अतीत झरोखों की झलक दिखाते हैं तथा उसके बौद्धिक स्तर को उन्नत करते हैं।

दुनियां में विषय अनंत हैं उन विषयों से संबंधित पुस्तकें भी अनंत हैं। उन सभी पुस्तकों को खरीद कर पढ़ पाना किसी के बस की बात नहीं। इस आवश्यकता की पूर्ति पुस्तकालय अत्यंत सुगमता से कर सकता है। बड़े-बड़े पुस्तकालयों में लाखों पुस्तकें संगृहीत होती हैं। इनमें वे दुलर्भ पुस्तकें भी होती हैं जो अब अप्राप्य हैं जिन्हें किसी भी कीमत पर खरीदा नहीं जा सकता।

पुस्तकालय में बैठकर कोई भी व्यक्ति एक ही विषय पर अनेक व्यक्तियों के विचारों से परिचित हो सकता है। अन्य विषयों के साथ अपने विषय का तुलनात्मक अध्ययन भी कर सकता है।

पुस्तकालय में जाते समय उसके नियमों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। वहां जाकर वही पुस्तकें पढऩी चाहिए जिनकी आपको जरूरत हो। पुस्तकालय में ऐसी अनेक पुस्तकें होती हैं। पुस्तकालय में बैठकर पुस्तकें पढ़ते समय बिल्कुल शांत रहना चाहिए। पुस्तकालय की पुस्तकों पर पेंसिल या पेन से निशान लगाना, उनके चित्रों आदि को फाडऩा या गंदा करना ठीक नहीं है।  पुस्तकालय किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं इसलिए वहां सगृहीत पुस्तकें सामाजिक संपति होती हैं अत: हमें पुस्तकालय की पुस्तकों को उसी दृष्टि से देखना चाहिए।

पुस्तकालयों में संकलित पुस्तकों के माध्यम से व्यक्ति भाव-विचार, भाषा, ज्ञान-विज्ञान आदि सभी विषयों के क्रमिक विकास का इतिहास जानकार उनका किसी भी विशिष्ट दृश्टि से अध्ययन कर सकता है।  जातियों, राष्ट्रों, धर्मों आदि के उत्थान-पतन का इतिहास भी पुस्तकों से जानकर उत्थान और पतन के कारणों को अपनाया या उनसे बचा जा सकता है।

पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान के अनंत भंडार होते हैं। उन्हें अपने भीतर समाए रहने वाला अनंत नदी-धारों, विचार-रत्नों, भाव-विचार-प्राणियों का अनंत सागर एंव निधि कहा जा सकता है।

 पुस्तकालय के द्वारा हमें अपने देश के महापुरूषों के जीवन चरित्र सम्बन्धित महत्वपूर्ण बातों का पता चलता है। यह है कि उन्होनें देश की रक्षा के लिए क्या-क्या कार्य किये और किस प्रकार अपने प्राणों का बलिदान किया। उनकी जीवनियों को पढ़कर हमें उन जैसा बनने की प्रेरणा मिलती है। परन्तु आज के जमाने में देश मे पुस्तकालयों व पुस्तकों की बहुत कमी है, जिस कारण हमें सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाता। हमारी सरकार को भारत में पुस्तकालयों के विकास के लिए अधिक प्रयत्न किया जाना चाहिये।

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