ऐसा स्थान जहां अनेक पुस्तरों को संगृहीत करके उनका एक विशाल भंडार बनाया जाता है। पुस्तकालय कहलाता है। पुस्तकालय ज्ञान के वे मंदिर हैं जो मानव इच्छा को शांत करते हैं,
दुनियां में विषय अनंत हैं उन विषयों से संबंधित पुस्तकें भी अनंत हैं। उन सभी पुस्तकों को खरीद कर पढ़ पाना किसी के बस की बात नहीं। इस आवश्यकता की पूर्ति पुस्तकालय अत्यंत सुगमता से कर सकता है।
पुस्तकालय में बैठकर कोई भी व्यक्ति एक ही विषय पर अनेक व्यक्तियों के विचारों से परिचित हो सकता है। अन्य विषयों के साथ अपने विषय का तुलनात्मक अध्ययन भी कर सकता है।
पुस्तकालय में जाते समय उसके नियमों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। पुस्तकालय में बैठकर पुस्तकें पढ़ते समय बिल्कुल शांत रहना चाहिए। पुस्तकालय की पुस्तकों पर पेंसिल या पेन से निशान लगाना, उनके चित्रों आदि को फाडऩा या गंदा करना ठीक नहीं है।
जातियों, राष्ट्रों, धर्मों आदि के उत्थान-पतन का इतिहास भी पुस्तकों से जानकर उत्थान और पतन के कारणों को अपनाया या उनसे बचा जा सकता है।
पुस्तकालय के द्वारा हमें अपने देश के महापुरूषों के जीवन चरित्र सम्बन्धित महत्वपूर्ण बातों का पता चलता है। यह है कि उन्होनें देश की रक्षा के लिए क्या-क्या कार्य किये । हमारी सरकार को भारत में पुस्तकालयों के विकास के लिए अधिक प्रयत्न किया जाना चाहिये।
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