हमारा प्यारा देश भारत अत्यंत प्राचीन संस्कृति वाला महान एंव सुंदर देश है। यह ऐसा पावन एंव गौरमय देश है जहां देवता भी जन्म लेने को लालायित रहते हैं। हम अपने इस देश को स्वर्ग से भी बढक़र मानते हैं। इस देश की प्रशंसा कविवर प्रसाद ने इन शब्दों में की है-
‘’अरुण यह मधमय देश हमारा
जहां पहुंच अनजान शिक्षित को मिला एक सहारा।’
भारत देश संसार का शिरोमणि है जिसका इतिहास गौरवपूर्ण है। प्राकृतिक दृष्टि से सबसे अनूठा है। प्रकृति ने उसे अपने हाथों से संवारा है। छ: ऋतुंए बारी-बारी में आकर इसका श्रंगार करती हैं। तीन ओर समुद्र और हिमालय इसके मुकुट की भांति सुशोभित हैं। नदियां इसके प्रेम प्रवाह की भाङ्क्षति निरंतर बहकर इसे सिंचित करती हैं। इन्हें विशेषताओं के कारण जर्मन के विद्वान मैक्समूलर ने कहा है-
यदि हम ऐसे देश की खोज करने के लिए संपूर्ण विश्व की खोज करें जिसे प्रकृति ने सर्वसंपन्न तथा सुंदर बनाया है, तो मैं भारत की ओर संकेत करूंगा।
मेरा देश भारत संस्कृति की क्रीड़ाभूमि है। इसी देश से ज्ञान की रश्मियां पूरे विश्व में फैली थी। यही वह देश है जिसने वेद, पुराण, उपनिष्ज्ञद और गीता का ज्ञान संसार को दिया। ज्ञान के कारण ही भारत को जगदगुरु कहा जाता है।
हमारा देश भारत भौगोलिक विभिन्नताओं वाला देश है। यहां एक ओर हरियाली है तो दूसरी तरफ जंगल, एक ओर हिमखंडित पर्वत शिखर हैं तो दूसरी ओर तपते मरुस्थल। इसी देश में प्राकृतिक बनावट, जलवायु, खान-पान, वेशभूषा तथा संस्कृति की दृष्टि से इतनी विभिन्नताएं हैं। हमारा प्यारा देाश् भारत अनेकता में एकता का अपूर्व उदाहरण है। इसी देश में मंदिर और मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघरों के दर्शन होते हैं। अनेक भाषाएं ओर अनेक धर्म इसी धरती पर फल-फूल रहे हैं। सभी संस्कृतियों को फलने फूलने का अवसर दिया जाता है।
भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है अर्थात यहां की सरकार जनता के धार्मिक मामालों में कोई दखल नहीं देती। यहां हिंदु-सिख, ईसाई और इस्लाम धर्म मानने वाले लोग रहते हैं। उन्हें अपनी उपासना पद्धति तथा सामाजिक व्यवस्था का अनुसरण करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। भारत भूमि ने ही संसार को विश्व बंधुत्व तथा पंचशील का सिद्धांत दिया गया सत्य, अहिंसा, त्याग, दया आदि मानवीय मूल्यों की प्रेरणा दी।
प्राकृतिक दृष्टि से यह देश सर्वाधिक सुंदर देश है, तो कभी धन-वैभव की दृष्टि से सोने की चिडिय़ा भी कहा जाता है। इसकी विपुल धन संपदा के कारण ही अनेक आक्रमणकारियों ने बार-बार लूटा तथा इसकी संस्कृतियों को नष्ट करने का प्रयास किया। परंतु इसकी संस्कृति नष्ट न हो पाई और अभी तक जीवित है जबकि संसार की अन्य प्राचीन संस्कृतियों का नामो-निशान तक नहीं है।
हमारा देश अनेक महापुरुषों की भूमि है। इसी धरापर गौतम, महावीर, विवेकानंद जैसे महापुरुष हुए, इसी धरा पर महात्मा गांधी,जैसे पुरुष का आगमन हुआ। इसी भूमि पर तुलसी, कबीर, कालिदास, रवींद्रनाथ टैगोर सरीखे कवियों, पे्रमचंद सरीखे कहानीकार हुए। इसी भूमि पर महान रामानुजम, आर्यभट्ट जेसे गणितज्ञ एंव वैज्ञानिक अवतीर्ण हुए।
सभी देशवासी भारत देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। हमारा देश वर्तमान में अनेक समस्याओं से जूझ रहा है और अभी विकासशील देशों की श्रेणी में है। लेकिन वह समय दूर नहीं है जब हमारा भारत देश विज्ञान, तकनीक, औद्योगिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से विश्व का सिरमौर बनेगा। प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्य है-
‘जिंए तो सदा इसी के लिए
कहीं अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व
हमारा प्यारा भारत वर्ष।’
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