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Thursday, March 14, 2019

”विज्ञान के लाभ तथा हानियाँ ” Hindi Essay on “Vigyan ke Labh tatha Haniya , 457 wors

March 14, 2019
वैज्ञानिक अविष्कारों के कारण आज का युग विज्ञान का युग माना जाता है। विज्ञान एक ऐसी शक्ति है जिसने प्रतिदिन नए अविष्कार करके मानव जीवन को सरल और आरामदायक बनाने के लिए उपकरण प्रदान किए हैं। बटन दबाते ही विभिन्न वैज्ञानिक उपकरण आज्ञाकारी सेवक की भांति हमारी सेवा में तत्पर रहते हैं। जिनके कारण मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अदभुत क्रांति आ गई है। इसलिए आज के युग को चतत्कारों का युग कहा जाता है।



विज्ञानं की वजह से आजकल हम हजारो किलोमीटर की दुरी को महज कुछ घंटो में तय कर लेते है। आज मानव को गर्मी से बचने के लिए पंखे, एयर कंडीशनर, रेडियों, चलचित्र टेलिविजन, बल्ब, रसोई के उपकरण आदि विज्ञान की देन है विज्ञान के चमत्कारों ने आज हमारी आस्थाओं और विश्वासोतक को बदलकर रख दिया। बिजली के बल्ब, चकाचोंध रोशनियाँ, इंटरनेट , टेलेविज़न , मोबाइल फ़ोन  ये   सब  विज्ञानं की ही उपलब्धिया है  परन्तु इसके साथ ही इन चीजों के दुरूपयोग से होनेवाली हानियों से भी आप भली भांति परिचित है।  

कभी जिन रोगों के इलाज की कल्पना तक कर पाना संभव नहीं था और जिन्हें मौत का सीधा परवान माना जाता था आज के विज्ञान ने उनका नाम तक मिटा दिया है। वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से मानव हिमालय के उच्च शिखर पर विजय-ध्वज फहरा आया है। और चंद्रलोक तक की भूमि पर चरण सिंह अंकित कर आया। अन्य ग्रहों पर भी जाने की तैयारी कर रहा है। 
आधुनिक विज्ञान ने युद्ध तकनीक में भी विशेष चमत्कार कर दिखाया है। परमाणु बम की कहानी उस समय पुरानी लगने लगती है कि जब हाईड्रोजन बम, कोबाल्ट बम, जैविक या रासायनिक बमों एंव शस्त्रास्त्रों के निर्माण की लोभहर्षक चर्चा सुन पड़ती है। भविष्य में यदि युद्ध होंगे तो उनका संचालन कोई भूमिगत और चमत्कृत कर देने वाले होंगे तो उनका संचालन कोई भूमिगत और चमत्कृत कर देने वाला वैज्ञानिक यंत्र कर रहा होगा। इस प्रकार आज विज्ञान ने युद्धकला को विनाश और सर्वनाश की कला बना दिया है। मानव उसके सामने मात्र एक मिट्टी का लौंदा बनकर रह गया है। 

ध्वनि, जल , वायु प्रदूषण का जन्मदाता भी वतृमान विज्ञान को ही माना जाता है। विज्ञान ने मानव को धर्म-विुख तथा अनीश्वरवादी भी बना दिया है। उसकी कोमल भावनांए लुत्प हो गई हैं तथा वह बुद्धवादी, भौतिकवादी तथा जड़वत यंत्रवत बना दिया है। 
वास्तव में विज्ञान अपने में निर्माण तथा सृजन के साथ विनाश एंव विध्वंस की शक्तियां समेटे हुए हैं। अब यह उसकी प्रयोगकर्ता पर निर्भर है कि वह उसकी शक्तियों का प्रयोग निर्माण के लिए करता है अथवा विनाश के लिए? विज्ञान तो विष्णु की भांति सबका पालन है, पर इसका दुरुपयोग करने पर शिव के समान संहारक बन सकता है। अत: इसकी शक्तियों का प्रयोग सोच समझकर करना होगा क्योंकि अंकुश के अभाव में यह विनाशकारी बन जाता है। 

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