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Friday, June 28, 2019

मन के हारे हार है Man ke Hare Haar Hai hindi essay 480 words

June 28, 2019
मन के हारे हार है Man ke Hare Haar Hai hindi essay

मन क्योंकि सभी इच्छाओं का केंद्र है, सभी दृश्य-अदृश्य इंद्रियों का नियामक और स्वामी है। अत: व्यवहार के स्तर पर उसकी हार के वास्तविक हार और जीत को सच्ची जीत माना जाता है। इसलिए मन पर नियंत्रण और मन की दृढ़ता की बात भी बार-बार कही जाती है।



विद्वानों के अनुसार हर प्रकार की मानसिक दुर्बलता का उपचार यह है कि मनुष्य विपरीत दिशा में सोचना शुरू कर दे। जैसे ‘मेरा व्यक्तित्व पूर्ण है। उसमें त्रुटि या कमजोरी कोई है, तो मैं उसे दूर करके हूंगा। मुझे ईश्वर ने अपना ही रूप बनाया है। उसने मुझे पूर्ण मनुष्य बनाने की आज्ञा दी है। पूर्ण पुरुष परमात्मा की मैं रचना हूं, फिर मैं अपूर्ण कैसे हो सकता हूं। मेरे मन में जो अपूर्णता का विचार आता है, वह वास्तविक कैसे हो सकता है? मेरे जीवन की पूर्णता ही सत्य है। मैं अपने अंदर कोई कमी नहीं आने दूंगा। इस प्रकार निरंतर एंव बारंबार अपने मन में विचार दोहराते रहने से मनुष्य कर्म से अपने को सबल बनाता जाता है।’



प्रत्येक व्यक्ति को सोचना चाहिए कि वह ईश्वर की मौलिक रचना है ओर उसमें कुछ दिव्यता है। उस दिव्यता को व्यक्त करने का उसे दृढ़ करने की एक सफल क्रिया कह सकते हैं।


कई बार हमारे सामने ऐसा कठिन काम आ जाता है कि हम मन हारने लगते हैं। हमें यह सोचना चाहिए कि यह वस्तुत: हमारी परीक्षा का अवसर है। इंसानियत का इतिहास और प्रेरणा यही है कि वह हिम्मत न हारे। कहा भी है- ‘हिम्मते मर्दा मददे खुदा’। जो व्यक्ति हिम्मत नहीं हारता, ईश्वर भी उसकी ही सहायता करता है। यह सोचकर उस कार्य को करने में तन-मन से डटे रहना चाहिए। देर-सबेर सफलता अवश्य मिलेगी।

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