‘बचत कीजिए और सुंदर और सुरक्षित भविष्य बनाइए।’ यह नारा आज के युग का है यों तो मनुष्य शुरू से ही बचत करता आ रहा है। लेकिन पूर्व काल में की गई बचत से आज की बचत के अर्थ में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया है। दरअसल बचत एक प्रवृति है जो मनुष्य को संयमित और सुखी जीवन बिताने की ओर संकेत करती है।
बचत करने का आज का अर्थ है। राष्ट्र या देश की सेवा करना। आज अर्थतंत्र का युग है। अर्थ को किसी तिजोरी, गड्ढे आदि में नहीं छिपया जाए ओर न स्वर्ण खरीकर उसे जाम कर दिया। आज अर्थ उत्पादन शकित से जुड़ चुका है। एक व्यक्ति की बचत यदि वह डाकखाने, बैंक, कंपनियों आदि में लगी हुई है तो इसका मतलब है कि आप राष्ट्रीय सेवा के कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं।
बचत की आदत सुखी जीवन का आधार है। उतना ही खर्च कीजिए, जितनी की आवश्यकता है। फिजूलखर्ची न केवल आपके लिए कष्टदायक सिद्ध हो सकती है। अपितु, सारे समाज व राष्ट्र के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो सकती है।
बचत राशि आपके स्वप्नों को पूरा करने में मदद करेगी। इस राशि से आवश्यकता पडऩे पर आप अपना रुका हुआ कार्य कर सकते हैं। अपनी पढ़ाई का खर्च स्वंय निकाल सकते हैं। मिव्यियिता जीवन की सफलता की कूंजी है। मनुष्य के जीवन की सार्थकता उसी में है कि वह समाज से कम-से-कम ले और बदले में उसे अधिक-से-अधिक दे। समस्त महापुरुषों के जीवन का निचोड़ यही रहा है कि उन्होंने अपना जीवन समाज के लिए अर्पित कर दिया है। वे सभी मितव्ययी हुए हैं। जिन्होंने अपने कम से कम व्यय किया है। उन्होंने स्वावलंबी जीवन जिया है।
मुझे भी बचत करने से यह अनुभव हुआ कि मेरा मन पहले से अधिक एकाग्रचित, शांत, प्रफल्लित रहा है। मुझमें लौटा है मुझे लगता है कि मेरा जीवन निरर्थक नहीं है।
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