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Saturday, June 29, 2019

रुपये की गिरती कीमत हिंदी निबंध 200 wrds, Falling Value Of Indian Rupee

June 29, 2019
Falling Value Of Indian Rupee
पिछ्ले दो सालों (2013 -2015) में ख़ासतौर पे पिछ्ले दो महीनों में रुपये की कीमत डॉलर की मुक़ाबले काफ़ी कम हो गयी है. रुपये की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में केवल कम ही नहीं हुई बल्कि डॉलर की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कई गुना बढ़ गयी है. अमेरिकन ईक्विटी की बेहतरीन प्र्फोर्मेनस और लेबर मार्केट में काफ़ी अच्छा काम करने से अमेरिकनों में अमेरिकन एकोनोमी के प्रति सकरात्मक बना दिया है.


दूसरी तरफ भारत सरकार अभी भी रुपये के कीमत को बढ़ाने में नाकामयाब रही है. भारत में तेल का आयात ३५ % और सोने का आयात ११% है. तेल के आयात करने वालों में डॉलर की बढ़ती ज़रूरत ने रुपय की कीमत को और गिरा दिया है. खाने पीने की चीज़ें और रोज़ मर्राह की चीज़ें जो की सड़क द्वारा किसी ट्रूक, रेल आदि से आती हैं, डीसल के दाम बढ़ने से ये सब चीज़ें भी महँगी हो जाएँगी जिससे इन्फ्लेशन हो जाएगा. इसी तरह सोने के गिरते भाव ने सोने का आयात कम कर दिया है जिससे सी. ए .डी बढ़ गया है और इसने कररेंसी को सीधे तौर पर निशाना बनाया है. दूसरी और भारत के एलेक्षन्स में होने वाले खर्चे ने रुपये की कीमत को और गिरा दिया है. इसका सबसे ज़्यादा असर उन लोगों पे पढ़ेगा जो विदेश में सैर पे गये हैं या जो पढ़ने गये हैं जिनके लिए ये किसी बुरे सपने से कम नहीं है. लेकिन फ़ायदा उन एन. आर. आइस को होगा जो विदेश से अपने घर पैसा भेजते हैं. गिरते रुपये की कीमत किसी के खुशी लाई है लेकिन यह भारत देश की फिस्कल हैल्थ के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है. क्यूंकी भारत एक नेट इमपॉरटिंग देश है, गिरते रुपय का मतलब सरकार को उसी डॉलर के मुक़ाबले ज़्यादा रुपये देने होंगे. जैसे की कुछ महीने पहले एक डॉलर के बदले सरकार को ५४ रुपये चुकाने होते थे लेकिन अब उसी एक डॉलर के बदले ६५ रुपये देने होंगे यानी की २० प्रतिशित की वृद्धि हुई है. गिरते रुपये की कीमत से आम आदमी को काफ़ी नुकसान होगा. अच्छी बात यह है की ये हमेशा के लिए न्ही रहेगा और कुछ देर के लिए ही है, लेकिन हमें इसकी कीमत को बढ़ने के लिए उपाय खोजने होंगे. इसके लिए सेंट्रल बॅंक और सरकार को मिलकर कदम उठाने होंगे और पॉलिसीस ढूंदनी होंगी जिससे ये ख़तरनाक ब्ला को टाला जा सके.

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