पर्यावरण को कैसे बचाएं तथा संरक्षित करें पर निबंध (400 शब्द)
प्रस्तावना
समय के शुरुआत से ही पर्यावरण ने हमारी वनस्पतिओं और प्राणी समूहो से संबंध स्थापित करने में मदद की है, जिससे की हमारा जीवन सुनिश्चित हुआ हैं। प्रकृति ने हमें कई सारे भेंट प्रदान किये है जैसे कि पानी, सूर्य का प्रकाश, वायु, जीव-जन्तु और जीवाश्म ईँधन आदि जिससे इन चीजो ने हमारे ग्रह को रहने योग्य बनाया है।
पर्यावरण का संरक्षण और बचाव कैसे सुनिश्चित करें
क्योंकि यह संसाधन काफी ज्यादे मात्रा उपलब्ध है, इसलिए बढ़ती जनसंख्या के कारण धनी और संभ्रांत वर्ग के विलासतापूर्ण इच्छाओं को पूरा करने के लिए इनका काफी ज्यादे मात्रा में तथा बहुत ही तेजी के साथ उपभोग किया जा रहा है। इसलिए हर प्रकार से इनका संरक्षण करना बहुत ही आवश्यक हो गया है। यहां कुछ रास्ते बताएं गये है जिनके द्वारा इन प्राकृतिक संसाधनो के अत्यधिक उपयोग पर काबू पाया जा सकता है और इन्हे संरक्षित किया जा सकता है।
- खनिज और ऊर्जा संसाधनः विभिन्न प्रकार के खनिज तत्वो जिनसे कि उर्जा उत्पन्न कि जाती है इसके अंतर्गत कोयला, तेल और विभिन्न प्रकार के जीवाश्म ईंधन आते हैं। जिनका उपयोग मुख्यतः बिजली उत्पादन केंद्रो और वाहनो में किया जाता है, जो कि वायु प्रदूषण में अपना मुख्य योगदान देते है। इसके अलावा वायु जनित बिमारियों के रोकथाम के लिए नवकरणीय ऊर्जा के संसाधनो जैसे कि हवा और ज्वारीय ऊर्जा को बढ़वा देने की आवश्यकता है।
- वन संसाधनः वनो द्वारा मृदा अपरदन को रोकने और सूखे के प्रभाव को कम करने के साथ ही जल स्तर को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया जाता है। इसके साथ ही इनके द्वारा वातावरण की परिस्थितियों को काबू में रखने के साथ ही जीवो के लिए कार्बन डाइआक्साइड के स्तर को भी नियंत्रित किया जाता है, जिससे की पृथ्वी पर जीवन का संतुलन बना रहता है। इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि हम वन संरक्षण और इसके विस्तार पर ध्यान दे, जो कि बिना लकड़ी के बने उत्पादो के खरीद को बढ़ावा देकर और राज्य सरकारो द्वारा वृक्षारोपण तथा वन संरक्षण को बढ़ावा देकर किया जा सकता है।
- जल संसाधनः इसके साथ ही जलीय पारिस्थितिक तंत्र का भी लोगो द्वारा दैनिक कार्यो जैसे कि पीने के लिए, खाना बनाने के लिए, कपड़े धोने के लिए आदि के लिए उपयोग किया जाता है। वैसे तो वाष्पीकरण और वर्षा के द्वारा जल चक्र का संतुलन बना रहता है परन्तु मनुष्यों द्वारा ताजे पानी को बहुत ज्यादे मात्रा में इस्तेमाल और बर्बाद किया जा रहा है। इसके साथ ही यह काफी तेजी से प्रदूषित भी होते जा रहा है। इसलिए भविष्य में होने वाले पानी के संकट को देखते हुए इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण फैसले लेने की आवश्यकता है। जिसके लिए हमे बड़ी परियोजनाओं के जगह पानी के छोटे-छोटे जलाशय निर्माण, ड्रिप सिचाई विधी को बढ़ावा देना, लीकेज को रोकना, नगरीय कचरे के पुनरावृत्ति और सफाई जैसे कार्यो को करने की आवश्यकता है।
- खाद्य संसाधनः हरित क्रांति के दौरान कई सारे तकनीको द्वारा फसलो के उत्पादन को बढ़ाकर भूखमरी के समस्या पर काबू पाया गया था, लेकिन वास्तव में इससे मिट्टी के गुणवत्ता पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसलिए हमें खाद्य उत्पादन के लिए सतत उपायो को अपनाने की आवश्यकता है। जिसके अंतर्गत गैर-जैविक उर्वरकों और कीटनाशको के उपयोग के जगह अन्य विकल्पो को अपनाने तथा कम गुणवत्ता वाली मिट्टी में उपजने वाले फसलो को अपनाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार से हम कह सकते है सिर्फ एक व्यक्ति के रुप में लिए गये हमारे व्यक्तिगत फैसलो के साथ सतत विकास और सही प्रबंधन के द्वारा ही हम अपने इस बहूमुल्य पर्यावरण की रक्षा कर सकते है।
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