माँ पर भाषण - 3
आप सभी को सुप्रभात!
मुझे इस बात की काफी खुशी है कि आज मुझे आप सबके सामने मातृ दिवस के इस विशेष दिन पर अपने विचारों को व्यक्त करने का अवसर मिला है।
क्या आपने भी कभी खुद से यह प्रश्न किया है कि एक माँ कौन है? वास्तव में एक माँ वह होती है, जो अपने संतान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है। वह सिर्फ अपने बच्चे के अच्छी नींद के लिए खुद पूरी रात नही सोती है। वह खुद तब तक नही खाती है जब तक की उसकी बच्चा भोजन ना कर ले, वह खुद भूखी रहकर अपने हिस्से का भोजन भी अपने बच्चे को खिला देती है।
इस माँ शब्द का अर्थ बहुत ही अनोखा और सम्मानजनक है। यदि हमें इस खूबसुरत दुनियां में जीवन जीने का अवसर मिला है, तो उसका श्रेय सिर्फ हमारी माँ को जाता है। हमारे माँ ने हमें जन्म देते वक्त ना जाने कितनी पीड़ा सही है लेकिन हमारी एक मुस्कान से वह अपनी हर पीड़ा तथा दुख को भूल जाती है।
एक माँ अपने बच्चे को सबसे ज्यादे प्रेम करती है और उसके जीतना प्रेम हमें शायद ही दूसरा कोई कर सकता है। अपने अनूठे प्रेम तथा अपनेपन के कारण वह हमारे लिए हर समस्या ले जूझने के लिए तैयार रहती है। जब बात हमारे भविष्य और भलाई की हो तो वह बड़े से बड़े संकट का सामना करने से पीछे नही हटती है। हमारे पैदा होने से लेकर पूरे जीवन तक हमें कई सारे रिश्ते देखने को मिलते हैं। जिनमें से कुछ आपको धोखा देते है, वही कुछ आपके जरुरत के समय आपके साथ नही होते है और कुछ तो सिर्फ अपने स्वार्थवश आपके साथ होते है। लेकिन ‘मातृत्व’ वह बंधन है, जिसका हमारे त्याग तथा भलाई के लिए कोई सीमा और स्वार्थ नही होता है।
माँ हमारी सारी चिंताओं तथा दुखों को अपने अंदर समेट लेती है और हमें कभी इस बात का एहसास नही होने देती है कि हम अकेले है। हमारे बुरे से बुरे स्थिति में भी उसका प्रेम हमारे लिए कभी कम नही होता है। वह एक ऐसी सख्स है जो हमारे लिये एक पूरे संसार के समान होती है।
इस दुनिया में सिर्फ माँ ही ऐसी व्यक्ति है, जो हमारे लिये बिना किसी स्वार्थ या लाभ के चौबीसों घंटे काम करती है। उसके लिये ना तो किसी दिन छुट्टी होती है और ना ही उसे इसके लिये किसी प्रकार का मेहनताना मिलता है, लेकिन फिर सिर्फ हमारे खुशियों के लिए वह दिन-रात काम करते हुए हमारे जीवन को और भी बेहतर बनाने का कार्य करती है।
अंत में, मैं आप सबसे बस इतना ही कहना चाहुंगा कि हमें ईश्वर रुपी माँ का सदैव सम्मान करना चाहिए। इसके साथ ही हमें इस बात की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि हमें अपनी माँ के जीवन को हमेशा और भी बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे।
अंत में बस मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि माँ सिर्फ एक शब्द ही नही बल्कि की स्वयं में एक पूरा संसार होती है। अपना महत्वपूर्ण समय देने और मेरे इस भाषण को इतना ध्यानपूर्वक सुनने के लिए आप सबका धन्यवाद।
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