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Thursday, May 16, 2019

विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण 2 vishv pravaran divas par bhashan

May 16, 2019
सभी आदरणीय उपस्थित महानुभावों, प्रिंसिपल सर, सर, मैडम एवं मेरे प्रिय दोस्तों आप सभी का विश्व पर्यावरण दिवस के शुभअवसर पर हार्दिक अभिनंदन एवं सुप्रभात। मेरा नाम है.......। मैं कक्षा .... में अध्ययन करता हूं। सबसे पहले मैं अपने कक्षा अध्यापक महोदय का इस विषय पर व्याख्यान देने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद करता हूं। आज, हम एक महत्वपूर्ण दिवस, जिसे विश्व पर्यावरण दिवस कहा जाता है, को मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। हमारे पर्यावरण के हालात में दिन-प्रतिदिन गिरावट दर्ज की जा रही है। दोस्तों, हमें तुरंत पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों का पता लगाकर स्थिति में सुधार लाने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ-अवसर पर विषय से संबंधित सभी बिंदुओं पर चर्चा करना अनिवार्य है।
मेरे प्रिय दोस्तों, पृथ्वी पर हमारे पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य से वर्ष 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में एक विशेष दिन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र संघ ने की थी। दुनिया भर में तकनीकी विकास की खुशी में, हम यह भूल गए कि हम विकास के साथ बहुत कुछ खो रहे हैं। विकास की गतिविधियों ने हमें प्रकृति से दूर कर दिया हैं और हमारे कई प्राकृतिक धरोहर समाप्त हो गए है। क्या आप जानते हैं कि हमारी गलतियों की वजह से हमारे कई पसंदीदा खाद्य पदार्थ के भी धरती से विलुप्त होने की भविष्यवाणियां की जा रही है। बस हमारी गलतियों जैसे कि बिजली का अत्यधिक उपयोग, वनों की कटाई, औद्योगीकरण, सीवेज का सीधे नदियों एवं नहरों में निपटान, पोलिथीन का हानिकारक अविष्कार एवं इस्तेमाल आदि द्वारा पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुंच रहा है।
विश्व पर्यावरण दिवस प्रति वर्ष 5 जून को हमारी इन्हीं गलतियों को समझने एवं उनके बुरे प्रभाव को बेअसर करने के उद्देश्य से सकारात्मक कदम उठाने की दिशा में प्रयास करने के उद्देश्य से पूरे विश्व में मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस को पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के द्वारा ग्लोबल वार्मिंग, भोजन की कमी, वनों की कटाई, आदि जैसे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान ढ़ूढ़ने के उद्देश्य से 1973 मनाया गया गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार निकट भविष्य में मानव-प्रेरित पर्यावरण परिवर्तन की वजह से दो-तिहाई से भी अधिक वनस्पतियां व जीव विलुप्त हो जाएंगे। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि निकट भविष्य में कॉफी, किंग मकई, चॉकलेट एवं कई समुद्री भोजन वलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके है।
हमारे दैनिक आहार विशेष रूप से सुबह के वक्त एक चम्मच शहद का प्रयोग हम सभी करते हैं लेकिन जल्द ही यह यह विलुप्तप्राय हो जाएगा और इसे तरल सोने के रूप में बुलाया जाएगा। हर 5 में से 2 मधुमक्खियां खेती में कीटनाशकों के अधिकाधिक प्रयोग की वजह से खत्म हो जाएंगे। ये कीटनाशक मधुमक्खियों के परागण के लिए भी जहरीले हैं और इस वजह से मधुमक्खियों की आबादी में गिरावट हो रही है। मधुमक्खियों की जनसंख्या में कमी होने से कई पौधे एवं खाद्य पदार्थ भी खत्म हो जाएंगे क्योंकि पौधों की लगभग 2,50,000 प्रजातियों का परागण मधुमक्खियों के द्वारा ही होता है।
जलवायु परिवर्तन की बढ़ती दर से चॉकलेट खत्म होता जा रहा है क्योंकि निरंतर बढ़ते तापमान और मौसम के मिजाज में परिवर्तन की वजह से कोको के उत्पादन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। उच्च तापमान की वजह से कोको के पेड़ों से अत्यधिक वास्पीकरण होता है जिससे कोको का उत्पादन को कम होता जा रहा है। इसके उत्पादन में 2030 तक अत्यधिक गिरावट हो जाने की संभावना है।
उच्च तापमान, बदलता हुआ मौसम एवं घटती हुई पानी की आपूर्ति की वजह से ये पौधे अस्वस्थ हो रहे है एवं इनपर फफूंद लग रहा है और इस प्रकार कॉफी का उत्पादन बाधित हो रहा है। समुद्री भोजन का उत्पादन भी ग्लोबल वार्मिंग की वजह से खतरे में पड़ गया है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलीय जीवों की कई प्रजातियां, मछलियां आदि सभी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। वनों की बेहिसाब कटाई की वजह से ताड़ के तेल, जैसे कई प्रजातियों के पौधे आदि विलुप्त होने वाले हैं।
प्रिय मित्रों, हमें जलवायु परिवर्तन की दर को कम करने एवं भविष्य में पृथ्वी पर बेहतर जीवन के लिए कई प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। आवश्यकता है कि हम कम प्रयोग, पुनः प्रयोग और रीसायकल पर ध्यान दें ताकि प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के बिगड़ते हुए हालात को हम नियंत्रण करने में सफल हो सकें। हमें छोटे-छोटे ही सही लेकिन कई कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे अकार्बनिक खाद्य पदार्थों के बजाए जैविक खाद्य पदार्थों का सेवन, रासायनिक उर्वरकों के बजाए प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग, बिजली के उपयोग को कम करना, चीजों का पुनर्चक्रण, वनों की कटाई पर रोक, वन्य पशुओं की रक्षा आदि से संबंधित प्रभावी कदम उठाने होंगे। हमारे सकारात्मक कदम निकट भविष्य में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को सुलझाने में मददगार साबित होंगे।
स्वस्थ पर्यावरण, स्वस्थ भविष्य!
धन्यवाद!

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