Searching...
Thursday, May 16, 2019

चुनाव और लोकतंत्र पर निबंध (Essay on Election and Democracy - 400 Words)

May 16, 2019


प्रस्तावना
चुनाव के बिना लोकतंत्र की परिकल्पना भी नही की जा सकती है, एक तरह से लोकतंत्र और चुनाव को एक-दूसरे का पूरक माना जा सकता है। चुनावों में अपने मतदान की शक्ति का प्रयोग करके एक नागरिक कई बड़े परिवर्तन ला सकता है और इसी के कारण लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को उन्नति का समान अवसर प्राप्त होता है।
लोकतंत्र में चुनाव की भूमिका
लोकतंत्र में चुनाव की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि इसके बिना एक स्वस्थ और स्वच्छ लोकतंत्र का निर्माण संभव नही है क्योंकि नियमित अंतराल पर होने वाले निष्पक्ष चुनाव ही लोकतंत्र को और भी मजबूत बनाने का कार्य करते है। भारत के एक लोकतांत्रिक देश होने के कारण यहां की जनता अपने सांसदों, विधायकों तथा न्यायपालिकाओं का चुनाव कर सकती है। भारत का वह प्रत्येत नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है वह अपने मतदान की शक्ति का प्रयोग कर सकता है और लोकतंत्र का पर्व माने जाने वाले चुनावों में अपने पसंद के उम्मीदवार को अपना मत दे सकता है। 
वास्तव में चुनाव के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नही की जा सकती है और यह लोकतंत्र की शक्ति ही है, जो देश के हर नागरिक को अपने अभिव्यक्ति के आजादी की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह हमें एक विकल्प देता है कि हम योग्य व्यक्ति को चुन सके और उन्हें सही पदों पर पहुंचाकर देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सके।
चुनाव की आवश्यकता
कई बार कई लोगों द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर चुनाव की आवश्यता क्या है, यदि चुनाव ना भी हो तो भी देश में शासन चलाया जा सकता है। लेकिन इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जहां भी शासक, नेता या फिर उत्तराधिकारी चुनने में भेदभाव तथा जोर-जबरदस्ती हुई है। वह देश या स्थान कभी विकसित नही हुआ और उसका विघटन अवश्य हुआ है। यहीं कारण था कि राजशाही व्यवस्थाओं में भी राजपद के लिए राजा के सबसे योग्य पुत्र का ही चुनाव किया जाता था।
इसका हमें सबसे अच्छा उदहारण महाभारत में मिलता है, जहां भरतवंश के राजसिंहासन पर बैठने वाले व्यक्ति का चुनाव ज्येष्ठता (उम्र में बड़ा होना) के आधार पर ना होकर श्रेष्ठता के आधार पर होता था लेकिन अपनी भीष्म ने सत्यवती के पिता को वचन देते हुए इस बात की प्रतिज्ञा ली की वह कुरुवंश के राजगद्दी पर कभी नही बैठेंगे और सत्यवती का ज्येष्ठ पुत्र ही हस्तिनापुर के सिहांसन का वारिस होगा। इस गलती का परिणाम तो सब ही जानते हैं कि इस एक प्रतिज्ञा के कारण कुरुवंश का नाश हो गया।
वास्तव में चुनाव हमें विकल्प देते है कि हम किसी चीज में बेहतर विकल्प को चुन सके। यदि चुनाव ना हों तो समाज में निरंकुशता और तानाशाही का बोलबाला हो जायेगा। जिसके परिणाम सदैव ही विध्वंसक रहे है। जिन देशों में लोगों को अपने नेताओं को चुनने की आजादी होती है, वह सदैव ही प्रगति करते है। यहीं कारण है कि चुनाव इतने महत्वपूर्ण और आवश्यक है।
निष्कर्ष
चुनाव और लोकतंत्र एक दूसरे के पूरक है, एक बिना दूसरे की कल्पना भी नही कि जा सकती है। वास्तव में लोकतंत्र के विकास के लिए चुनाव बहुत ही आवश्यक हैं। यदि एक लोकतांत्रिक देश में निश्चित अंतराल पर चुनाव ना कराये जायें तो वहां निरंकुशता और तानाशाही का बोलबाला हो जायेगा। इसलिए एक लोकतांत्रिक देश में निश्चित अंतराल पर चुनावों का होना काफी आवश्यक है।

0 comments:

Post a Comment

:) :)) ;(( :-) =)) ;( ;-( :d :-d @-) :p :o :>) (o) [-( :-? (p) :-s (m) 8-) :-t :-b b-( :-# =p~ $-) (b) (f) x-) (k) (h) (c) cheer
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.