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Thursday, May 16, 2019

अंग दान पर भाषण – 1

May 16, 2019

अंग दान पर भाषण – 1

नमस्कार देवियों और सज्जनों – कैसे हैं आप सब।
सबसे पहले मैं इस अंग दान शिविर को सफल बनाने के लिए आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं। हम सभी जानते हैं अंग दान का उन लोगों के लिए अत्यधिक महत्व है जो अपनी शारीरिक बीमारियों के कारण दुखदाई स्थिति में रह रहे हैं।
तो मैं - डॉ निखिल सक्सेना (आज के लिए आपका मेजबान) - अंग दान नामक इस संवेदनशील विषय को संबोधित करने जा रहा हूं और साथ ही अपने व्यक्तिगत विचार भी साझा करूँगा। क्या आप जानते हैं कि वर्तमान समय में वे मुख्य मुद्दे कौन से हैं जिनसे हमारा समाज जुड़ा हुआ है? मुख्य मुद्दा दवाओं का अवैध व्यापार और शराब का अत्यधिक सेवन है और साथ ही खतरनाक दर से बढ़ता मोटापे का स्तर भी है।
मुझे यकीन है कि आप में से किसी को भी हमारे समाज में अंग दाताओं की कमी महसूस नहीं हुई है और इसलिए हमारे मरीजों के लिए अंगों की उपलब्धता की कमी है। अंग वास्तव में उन लोगों के जीवन के लिए उपहार हैं जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है और इसलिए इसकी कमी हमारे लिए चिंता का एक गंभीर कारण है क्योंकि इसकी कमी की वजह से रोगी अपना जीवन भी खो सकता है।
हमारा समाज जो स्वास्थ्य की देखभाल और औषधीय केंद्रों से लैस है निश्चित रूप से इसको नज़रंदाज़ नहीं कर सकता या किसी व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकार, जीने का अधिकार, से वंचित नहीं कर सकता है। वर्तमान समय में अंग प्रत्यारोपण वास्तव में आधुनिक विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। लेकिन मुख्य तथ्य वही है यानी अंग की उपलब्धता पूरी तरह से अंगदाता और उसके परिवार की उदारता पर निर्भर करती है।
निश्चित रूप से हर व्यक्ति, जो मानवता की ओर दयालु है और किसी और को उसके दर्द से सहानुभूति दे सकता है, वह मौत के बाद अपने अंगों को दान करने की कोशिश कर सकता है और उन लोगों को जीवन का उपहार दे सकते हैं जिन्हें अंगों की सबसे अधिक आवश्यकता है। हर किसी को आगे आना चाहिए और इस समस्या की ओर एकजुट होना चाहिए तथा यह समझना चाहिए कि ये ईमानदार प्रयास हमारे समाज पर एक बड़ा सकारात्मक प्रभाव कैसे डाल सकते हैं। तो इंसान के रूप में क्या यह हर किसी का कर्तव्य नहीं है की उनकी मृत्यु के बाद उन्हें अपने अंगों को दान करने की इजाजत दी जाए?
देवियों और सज्जनो यदि मैं आपके साथ तथ्यों को साझा करूँ तो मैं यह कहूँगा कि अंग दानदाताओं के लिए प्रतीक्षा करने वालों की लगातार बढ़ती सूची में हर रोज़ लगभग 120 रोगी जुड़ते हैं। दुर्भाग्यवश लगभग 41% लोग यानी उनमें से लगभग 50 रोगियों की अस्पतालों में अंगों की अनुपलब्धता के कारण मृत्यु हो जाती है।
हालांकि अपने देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमारे डॉक्टरों पर अपना विश्वास बनाए रखने का हमारा कर्तव्य है। और यह विश्वास केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों और अस्पतालों में उपलब्ध विश्व स्तरीय चिकित्सा सेवाओं और सुविधाओं को उपलब्ध करवाकर ही बहाल किया जा सकता है और इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह संकट की स्थिति कभी दोबारा न हो। जब तक संभावित अंग दाता की मृत्यु नहीं हो जाती तब तक उन्हें सही चिकित्सकीय उपलब्ध कराइ जानी चाहिए ताकि उनके अंगों का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जा सके जिन्हें इसकी आवश्यकता है और उनका जीवन बचाया जा सके।
इस प्रकार ऐसा करने के लिए जन जागरूकता फैलानी चाहिए कि लोग कैसे आगे आकर इस उद्देश्य की ओर अपना योगदान कर सकते हैं। अख़बारों में विज्ञापन छापे जाने चाहिए और लोगों में इस बात की जागरूकता फैलानी चाहिए कि अंग दान करने की उनकी इच्छा किसी और के जीवन को कैसे बचा सकती है। यह एक महान कारण है और हर किसी को आगे आकर इस सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बनना चाहिए।
धन्यवाद!

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