अंग दान पर भाषण – 2
हेल्लों दोस्तों – मेरी ओर से आप सभी को नमस्कार!
मैं अंग दान पर आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में आप सभी का दिल से स्वागत करता हूं। आज लोगों की इतनी बड़ी सभा को देखकर मैं बहुत आश्चर्यचकित हूं और जनता के बीच इस कार्यक्रम की अधिक जागरूकता फैलाने के लिए और उन्हें अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में जागरूक कर सफल बनाने के लिए यहां उपस्थित सभी लोगों का भारी समर्थन हासिल कर अभिभूत हूं।
देवियों और सज्जनों जैसा कि हम सभी जानते हैं अंग का दान किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अपना अंग देने की प्रक्रिया है जिसे इसकी गंभीर रूप से आवश्यकता है जिसे अंग देना है उसके शरीर में अंग सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रत्यारोपित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंग दान वास्तव में अंग प्राप्तकर्ता की मदद कैसे कर सकता है? यह अंग प्राप्तकर्ता को कई तरीकों से मदद कर सकता है जैसे कि उसके स्वास्थ्य, गुणवत्ता और जीने की अवधि में बढ़ोतरी और यहां तक कि मृत्यु या अन्य खराब परिस्थितियों जैसे कि पक्षाघात/लक़वा से उसकी रक्षा करना।
कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष से ऊपर है उसे अपने अंग को दान करने का हक है चाहे उसकी पृष्ठभूमि कैसी भी हो। हालाँकि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अपने माता-पिता/अभिभावक की अनुमति से अपने अंग दान करने के लिए भी स्वतंत्र हैं। आपको यह जानकार बड़ा आश्चर्य होगा कि कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें दानदाता केवल जीवित रह कर ही दान कर सकता है और कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें केवल तब ही प्रत्यारोपित किया जा सकता है जब दाता की मृत्यु हो जाती है। किसी भी अंगदान संगठन के साथ दाता के रूप में पंजीकृत होने के बाद आपको एक दाता कार्ड मिलेगा जो आपको आपकी मृत्यु के बाद अंगदान के लिए उपयुक्त बना देगा। एक अंग दाता का मृत शरीर लगभग 50 लोगों के जीवन को बचा सकता है। अंग दान की कोई आयु सीमा नहीं है जिसका अर्थ है कि 70 से 80 वर्ष के आयु वर्ग के लोग भी अपने अंग को दान कर सकते हैं।
इतना तो साफ़ है कि ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो गंभीर शारीरिक परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं और विभिन्न अंगों, जैसे फेफड़ें, गुर्दे, दिल या यकृत, की उन्हें जरुरत है जो कि किसी बीमारी के कारण या तो ठीक तरह से काम करना बंद कर चुके हैं या शायद उनके शरीर में संयोग से विकृत रहे हैं। न केवल अंग बल्कि ऊतकों को भी दान किया जा सकता है। फेफड़ों, गुर्दे, छोटे आंत्र, दिल, यकृत और पैनक्रिया महत्वपूर्ण अंग होते हैं जिन्हें प्रत्यारोपण के उद्देश्य के लिए दान किया जाता है
इसी तरह हड्डी, त्वचा, कॉर्निया, कार्टिलेज, टेंडन और दिल की नाड़ी के ऊतकों को भी दान की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसके अलावा यह पूरी तरह दाता पर निर्भर करता है कि क्या वह रोगी को पूरा शरीर या अपने शरीर के कुछ विशिष्ट हिस्सों को ही दान करना चाहता है। ऐसे कई देश हैं जिन्होंने अंग दान के लिए संगठन स्थापित किया है और अपने देश के लोगों द्वारा दान किए गए अंगों को संरक्षित करने के लिए अनुमोदित किया गया है। ये स्थिति पे निर्भर करता हैं, या तो उसे स्टोर किया जाता हैं या तो उसका इस्तेमाल मरीज़ के शरीर में सीधे प्रत्यारोपण के लिए किया जाता हैं।
अंग प्राप्तकर्ता के शरीर के ठीक होने तक यह महत्वपूर्ण है कि उसके शरीर में ऑक्सीजन और रक्त सही मात्रा में मौजूद रहे ताकि प्रत्यारोपण के समय कोई समस्या न हो। इस प्रकार जिनका शरीर स्वस्थ है उन्हें इस कार्य के लिए आगे आना चाहिए और अपने अंग का दान करना चाहिए ताकि जब हम अपनी अंतिम सांस लें तो कोई अन्य व्यक्ति अपने जीवन को जी सके।
धन्यवाद।
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