महिला सशक्तिकरण पर भाषण 2
सबसे पहले, मेरे अध्यापकों और साथियों को मेरी सुबह की नमस्ते। मैं अपने/अपनी कक्षा अध्यापक/अध्यापिका को धन्यवाद कहना चाहूँगा/चाहूँगी जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम पर आप सभी के सामने बोलने के लिए अवसर प्रदान किया। मैं भारत में महिला सशक्तिकरण पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। जैसा कि हम सब इस कार्यक्रम को मनाने के लिए यहाँ एकत्र हुए हैं, मैंने ये विषय आप सभी के सामने लिंग असमानता के मुद्दे को उठाने के लिए चुना है। सरकार और अन्य निजी संस्थाएं महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में नेतृत्वकारी स्थितियों पर पहुँचने के लिए समर्थन कर रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं का नेतृत्व राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण यंत्रों में से एक है। सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करना न्याय की ही बात है हालांकि, महिला सशक्तिकरण को प्रभावी बनाने के लिए सभी दृष्टिकोणों को आगे लाने की आवश्यकता है। महिला और पुरुष दोनों अद्वितीय और अलग दृष्टिकोण रखते हैं इसलिए निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने के लिए दोनों महत्वपूर्ण है। समाज में पुरुषों और महिलाओं दोनों के अधिकारों की समानता कार्य क्षमता को बढ़ायेगी और इस प्रकार देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
महिला सशक्तिकरण निर्णय लेने की प्रक्रिया में अपनी भागीदारी को मजबूत करने की चाबी है जो सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शोध के आंकड़ों के मुताबिक, ये उल्लेख किया गया है कि महिलाओं का सशक्तिकरण एक सशक्त रुप में आर्थिक वृद्धि को बढ़ाता है और विकास को जारी रखता है। हमें इस बारे में सोचना चाहिए और इस पर चर्चा करनी चाहिए कि कैसे हमारे सांस्कृतिक, पारंपरिक और सामाजिक नियम महिला नेतृत्वीकरण को प्रभावित करते हैं ताकि हम उन्हें तोड़ सकें। महिलाओं पर सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक दबाव रहता है जो लैंगिक समानता में बाधा के रुप में सबसे बड़े मुख्य मुद्दे के रुप में कार्य करता है। महिलाओं पर अपने परिवार, माता-पिता, समाज के द्वारा बहुत अधिक दबाव होता है और उन्हें अपने परिवार के सभी सदस्यों की देखभाल करने के लिए मजबूर किया जाता है। परिवार और समाज का इस तरह का दबाव महिलाओं में कैरियर बनाने की महत्वाकांक्षा को पुरुषों की अपेक्षा कम कर देता है।
एक शोध के अनुसार, महिलाओं की उच्च स्थिति की चर्चा के दौरान ये पाया गया कि वो अपने कार्य की भूमिका के बारे में अपने परिवार और अपने पति के साथ किसी भी प्रकार की चर्चा नहीं करती। वो अपनी श्रेष्ठ स्थिति के बारे में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में खुद को असहज महसूस करती हैं। पूरे एशिया भर में शीर्ष 50 महिला नेताओं के एक सर्वेक्षण के अनुसार, एशिया में नेतृत्व में महिलाओं के उत्थान के लिए तीन मुख्य चुनौतियों का सामना किया जा रहा है, "पारिवारिक जीवन की बाधाएं", "संगठन की ऐसी नीतियाँ और व्यवहार जोकि पुरुषों को महिलाओं से अधिक समर्थन करती हैं" और "सांस्कृतिक बाधाएं"।
महिलाओं का नेतृत्व विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मानदंडों के द्वारा प्रतिबंधित है जिसे समझने और रोकने की आवश्यकता है। सबसे पहले, समाज के साथ ही राष्ट्र में भी महिलाओं की स्थिति को बदलने के लिए हमें उन सभी सामाजिक असमानताओं को रोकने की आवश्यकता है जो महिलाओं की उपलब्धियों के मार्ग में बाधाएं है। मैं यहाँ उपस्थित अपने सभी साथियों और दोस्तों को इस विषय पर अपने परिवार और समुदाय में महिलाओं की भागदारी के रास्ते में आने वाली बाधाओं को रोकने पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करना चाहता/चाहती हूँ ताकि, प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों की तरह महिलाओं के नेतृत्व को भी बढ़ाया जा सके। पुरुषों को भी महिलाओं को सभी सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंड़ों में संयुक्त भागीदारी में सलंग्न करने के साथ ही घर, कार्यालय और समुदाय में न्याय संगत माहौल बनाने की आवश्यकता है।
धन्यवाद।
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