महिला सशक्तिकरण पर भाषण 3
देवियों और सज्जनों आज के इस विशेष अवसर पर आप सबका स्वागत है, आज हम सब यहां ‘महिला सशक्तिकरण’ और विश्व में इसके होने वाले प्रभाव जैसे बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करने के लिए इकठ्ठा हुए है। आप सबका यहां आने के लिए मैं आप सबका धन्यवाद व्यक्त करता हूँ और इस मौके का फायदा उठाते हुए मैं इस विषय पर आप सबके सामने अपने विचारों को व्यक्त करने की अनुमति चाहूँगा।
यहां पर उपस्थित लोगों ने प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, सामान्य चर्चा या फिर किसी अन्य स्त्रोत द्वारा महिला सशक्तिकरण के विषय में तो अवश्य ही सुना होगा क्योंकि यह आज के समय के सबसे अधिक चर्चित विषयों में से एक है।
इससे पहले की हम महिला सशक्तिकरण पर चर्चा करें, आइये उससे पहले इस विषय में विस्तार से जाने। महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक तरक्की को बढ़ावा देने से है। यह एक विस्तृत विषय है, महिला सशक्तिकरण के द्वारा सरकारी और निजी क्षेत्रों में महिलाओं के रोजगार को बढ़ावा देना, लैंगिग समानता, रोजगार, तरक्की और अवसरों को बढ़ावा दिया जाता है। जिससे उनका सामाजिक स्तर और जीवन स्तर और भी बेहतर हो सके।
अब इन बातों द्वारा यह सवाल उठता है कि, क्या समाज महिलाओं के साथ उचित व्यवहार करता है? तो जवाब है नही। हम संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय किये गये 2030 के सतत विकास के लक्ष्य से अभी भी काफी पीछे है।
सदियों से महिलाओं को घरों से निकलने की आजादी नही दी गयी है और सिर्फ उन्हें घर का कार्य करने तक ही सीमित रखा गया। कुछ पिछड़े और प्रगतिशील देशों को छोड़कर हर पिछड़े और प्रगतिशील देश में महिलाओं की हालत ऐसी ही है। ऐसे समाजों में महिलाओं को पुरुषों के तरह आजादी प्राप्त नही होती है, जिसके कारण उनका जीवन कारावास की तरह बन जाता है। उन्हें छोटे स्तर पर भी कोई पारिवारिक फैसला लेने की आजादी नही होती है क्योंकि उन्हें हमेशा ही पुरुषों से कमतर समझा जाता है। वहीं दूसरे तरफ कुछ विकसित देशों में यह चीज बिल्कुल ही अलग है, वहां समाज में महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पुरुषों के बराबर ही समझा जाता है।
तो आईये अब महिला सशक्तिकरण के फायदों के विषय में बात करते है, कि आखिर हमें ऐसा क्यों करना चाहिए? आखिर क्यों हम महिलाओं को उनके वर्तमान अवस्था में नही छोड़ सकते, जिससे उनका काफी धीरे-धीरे विकास हो। आज के समय में तरक्की काफी तेजी से तरक्की हो रही है और उम्मीद है कि हम 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के सबसे महत्वकांक्षी परियोजना वैश्विक सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। लेकिन यह एक काफी बड़ी गलती होगी, यदि हमने महिलाओं के समस्या पर ध्यान नही दिया और महिला सशक्तिकरण का यह कार्य पूरा ना होने पर भविष्य में और भी कई तरह के संकट पैदा करेगा।
जैसा कि कहा जाता है कि कोई भी महत्वपूर्ण कार्य खुद के घर से ही शुरु होता है, ठीक उसी प्रकार से एक देश तब तक तरक्की नही प्राप्त कर सकता है जब तक वह महिलाओं को समाज में समान व्यवस्था और सम्मान ना उपलब्ध करा पाये और यदि महिलाओं के हितों को नजरअंदाज किया गया तो हम स्वास्थ तथा सफाई, महिला शिक्षा, शिशु मृत्यु दर सामाजिक-आर्थिक तरक्की जैसे विषयों में काफी पीछे छूट जायेंगे।
अब इस विषय को लेकर सबस बड़ा सवाल यह है कि इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? प्रत्येक व्यक्ति इसमें अपना सहयोग दे सकता है फिर चाहे वह किसी उंचे पद पर आसीन व्यक्ति हो या फिर सामान्य व्यक्ति, जैसे कि जिस महिला से आप प्रेम करते है या फिर जिन महिलाओं को आप जानते हैं, उन्हें भी अपने बराबर का मानें। आप यह बात सुनिश्चित करें उन्हें भी रोजगार, शिक्षा और समाजिकता में आपकी तरह ही बराबर का हिस्सा मिले। इन कार्यों द्वारा चीजें एक दिन अवश्य ही बदलेंगी, लेकिन इस बदलाव की शुरुआत हमें खुद से करनी होगी।
अब इस विषय पर बात आती है सरकार के सहयोग की, इसके लिए सरकार को नये नीतियों को बनाने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं को भी रोजगार और तरक्की के समान अवसर मिल सके। इसके साथ ही सरकार को महिलाओं सामाजिक-अर्थिक और शैक्षिक विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए और महिलाओं के विरुद्ध होने वाले लैंगिग असमानता को को दूर करना चाहिए ताकि उन्हें भी पुरुषों के बराबर भुगतान और रोजगार के अवसर मिल सके।
जैसा कि इस विषय में महात्मा गाँधी द्वारा कहा गया है कि “विश्व में आप जो बदलाव देखना चाहते हैं, उसकी शुरुआत खुद से कीजिए।” इसका मतलब यह है कि सरकार चाहे जितनी भी योजनाएं बना ले पर वास्तविक बदलाव तभी आयेगा, जब हम खुद में बदलाव लायेंगे। जब हम महिलाओं के प्रति अपने विचारों और कार्यशैली में बदलाव लायेंगे तभी महिला सशक्तिकरण के विषय में सार्थक बदलाव देखने को मिलेगा।
मुझे अपना महत्वपूर्ण समय देने के लिए और मेरी बातों को इतना धैर्यपूर्वक सुनने के लिए आप सबका धन्यवाद और अब मैं इस उम्मीद के साथ अपने इस भाषण को समाप्त करने की अनुमति चाहता हूँ, कि एक दिन हम वाकई में समाज में वह बदलाव अवश्य ला पायेंगे जिसे हम सब देखना चाहते है।
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