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Monday, November 12, 2018

क्रिसमस पर निबंध , Christmas in Hindi 350 word

November 12, 2018

क्रिसमस ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है ।  यह त्योहार विश्वभर में फैले ईसा मसीह के करोड़ों अनुयायियों के लिए पवित्रता का संदेश लाता है तथा उनके बताए हुए मार्गों व उच्च आदर्शों पर चलने हेतु प्रेरित करता है ।
क्रिसमस का त्योहार प्रतिवर्ष दिसंबर की 25 तारीख को मनाया जाता है क्योंकि प्रभु ईसा मसीह का जन्म इसी शुभ तिथि में हुआ था ।  क्रिसमस का पावन पर्व किसी एक का नहीं अपितु उन सभी का है जो उनके समर्थक हैं तथा उन पर आस्था रखते हैं ।
इस त्योहार के कई दिनों पूर्व ही लोगों में उत्साह और उल्लास की झलक देखने को मिल जाती है । 
इस त्योहार पर ‘क्रिसमस-ट्री’ सजाने का विशेष महत्व है ।भारत में इसके महत्व को देखा जा सकता है ।  क्रिसमस के त्यौहार पर बाजार सांता क्लॉज़ के कपडे से बाजार सज जाता  है   बहुत से लोग अपने बच्चो को सांता क्लॉज़ के कपडे पहनकर सजाते है।   यदि खान पान की बात करे तो इस दिन लोग अपने घरो में प्लम केक बनाते है जिसमे बहुत से मेवे भी डाले जाते है। 
 परिवार के सभी सदस्य इस दिन ‘क्रिसमस-ट्री’ के चारों और एकत्रित होते हैं । सभी मिलकर प्रभु ईसा मसीह का स्तुतिगान तथा प्रार्थना करते हैं।
इस अवसर पर लोग  अपने घरों को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाते हैं और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर पड़ोसियों को भेंट करते हैं तथा खुद भी खाते हैं । बच्चों के लिए शांताक्लाज कोई न कोई उपहार अवश्य लाता है क्योंकि ईसा मसीह स्वयं बच्चों से बहुत स्नेह रखते थे ।
भारत में क्रिसमस के त्योहार का आनंद सभी समुदायों के लोग उठाते है।  खासतौर पर बच्चो में इस त्यौहार के प्रति बहुत उत्साह होता है 
ईसा मसीह को परमेश्वर का दूत माना जाता है । वे संसार के दीन-दुखियों का दु:ख दूर करने तथा ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को दूसरों के समक्ष प्रकट करने हेतु अवतरित हुए थे ।  उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से संसार में व्याप्त अंधविश्वास, अज्ञानता, दुख आदि को दूर करने का प्रयास किया ।
प्रभु ईसा मसीह ने सादा जीवन व्यतीत करते हुए भी जो उच्च आदर्श इस संसार के सम्मुख रखे हैं। ईसा मसीह ने अपना सर्वस्व परमेश्वर के लिए समर्पित कर दिया था । संसार में व्याप्त दुख, विषमताओं तथा अज्ञानता को दूर करने के लिए वे सदैव प्रयासरत रहे ।
यह त्योहार  हमें प्रेरित करता है कि अनेक कठिनाइयों का सामना करने पर भी हमें सन्मार्ग का त्याग नहीं करना चाहिए तथा दूसरों को भी पवित्रता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए यथासंभव सहयोग करना चाहिए।  

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