ईद-उल-फितर पर निबंध
Eid
ईद-उल-फितर पर अथवा ईद का त्योहार मुस्लिम समुदाय का मुख्य त्योहार है। विश्व के सभी कोनों में फैले मुस्लिम लोग इसे बड़ी ही श्रद्धा एंव उल्लासपूर्वक मनाते हैं। हमारे देश में जब ईद का त्योहार आता है, तो सभी समुदायों के व्यक्ति खुशी से झूम उठते हैं।
ईद का त्यौहार मुसलमानों का सबसे पवित्र एवं बड़ा त्यौहार होता है। यह रमजान का महीना पूरा हो जाने के बाद मनाया जाता है। मुस्लिम लोग एक महीने तक रोजा रखते हैं। रोजे के दिनों में मुस्लिम धर्मानुयायी पूरे नियमों से खुदा की इबादत करते हैं तथा पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं। रमजान के दिनों में बहुत सुबह अजान से पहले वे खा-पी लेते हैं जिसे सहरी कहते हैं, फिर अजान के बाद नमाज पढ़ते हैं, इस बीच वे पूरे दिन कुछ नहीं खाते पीते हैं तथा अधिकांश समय खुदा की इबादत में गुजरते है |
संध्या ढलने और अजान के बाद वे रोजा खोलते हैं जिसे ‘रोजा इफ्तार’ करना कहते हैं। इस्लाम में कुछ असहाय, बीमार तथा लाचार व्यक्तियों को व्रत से छूट दी गई है लेकिन सभी सक्षम व्यक्तियों के लिए रमजान के महीने मे व्रत रखना अनिवार्य है। रमजान महीने के अंतिम दिन सभी मुस्लिम चाँद को देखने की उत्सुकता रखते हैं क्योंकि चाँद के दिखाई देने के पश्चात् ही दूसरे दिन ईद मनाई जाती हैं।
सभी मुसलमान इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम से विशेष तैयारी के साथ मनाते हैं। ईद के त्योहार में संपूर्ण वातावरण एकरस हो जाता है। अमीर-गरीब, जवान या बूढ़ा सभी जनोें में बराबर उत्साह देखा जा सकता है। सभी अपनी शक्ति व सामथ्र्य एंव रूचि के अनुसार नए वस्त्र, नए आभूषण, जूते, चप्पल व अन्य भौतिक सुख की सामग्री की खरीद करते हैं। चारों ओर फलों व मिठाईयों की दुकानों मे लंबी भीड़ देखी जा सकती है।
ईद के दिन प्रातःकाल बच्चे, युवक, बुढ़े सभी स्वच्छ कपड़ों में एक निश्चित समय पर ईदगाह में एक साथ नमाज अदा करते है। नमाज अदा करने के उपरांत सभी लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं तथा ईद की मुबारकबाद देते हैं। इसके साथ ही दावतों का सिलसिला शुरू हो जाता हैं लोग नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाते हैं
ईद का पावन पर्व मन की पवित्रता एंव उसकी शुद्धता हेतु मनुष्य को प्रेरित करता है। यह त्योहार हमें भाईचारे तथा एक-दूसरे से प्रेम करने की सीख देता है।
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