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Friday, November 9, 2018

गणेश चतुर्थी के दौरान होने वाला प्रदूषण पर निबंध, pollution on ganesh chaturthi in hindi essay(600 words)

November 09, 2018
गणेश चतुर्थी 
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों मे से एक है और पुरे भारत भर में इसे काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है और इस त्योहार के दौरान हर तरफ सिर्फ गणपति बप्पा मोरिया का जयकारा सुनने को मिलता है। इस त्योहार की शुरुआत घरो की साफ-सफाई और सजावट के साथ शुरु होती है। गणेश चतुर्थी की शुरुआत महीनों पहले से ही शुरु हो जाती है, जिसमें कलाकारों द्वारा प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है और सामान्य लोगो द्वारा घरो तथा पंडालो को सजाने की तैयारी की जाती है।
 यह त्योहार इस लिए भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है, जोकि ज्ञान और मंगल कार्यों के देवता हैं। ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार पर गणपति स्थापना के साथ भगवान गणेश अपने भक्तों के लिए सौभाग्य लाते हैं और जाते-जाते इन दस दिनो में उनके सभी दुखो और विघ्नों को दूर कर देते हैं।
गणेश चतुर्थी के दौरान होने वाला प्रदूषण पर निबंध 
वैसे तो गणेश उत्सव का कार्यक्रम काफी धूम-धाम से मनाया जाता है और इसके आखिरी दिन यानि अनंत चतुर्दशी या जिसे गणपति विसर्जन का दिन भी कहा जाता है, इस दिन पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव काफी मायने रखते हैं। इस दिन लोग अपने घरों तथा सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित गणपति का नदियों या समुद्रों में विसर्जन करते है, जो कि पर्यावरण और जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
इस दस दिन लंम्बे उत्सव के दौरान काफी ज्यादे मात्रा में फूल- मालाएं, प्लास्टिक बैग और प्लास्टर आप पेरिस से बनी मूर्तियां इकठ्ठा हो जाती हैं क्योंकि इन वस्तुओं का विसर्जन सीधे तौर से समुद्रों या नदियों में होता है। इसलिए ये सब चीजे जलीय पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इनमें से अधिकतर मूर्तियां प्लास्टर आफ पेरिस से बनी होती हैं, जोकि एक अप्राकृतिक पदार्थ है, इसलिए इसे जल में घुलने में महीनों का समय लगता है। इसके अलवा यह मूर्तिंया कई तरह की चीजों जैसे की पेंट और शीशे आदि से सजी होती है, जो कि जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में प्रदूषण की मात्रा को बढ़ाने का कार्य करते हैं।
गणेश चतुर्थी के दौरान प्रदूषण रोकने के उपाय
गणेश चतुर्थी एक उत्सव का पर्व है। यह वह समय है जब लोगो की बीच सिर्फ हर्षोल्लास देखने को मिलता है। यदि हम गणेश चतुर्थी के दौरान कुछ बातों पर अमल करें तो इस त्योहार को ना सिर्फ पर्यावरण बल्कि स्वंय के लिए भी बेहतर बना सकते हैं।
इन्हीं में से कुछ उपायों के विषय में नीचे चर्चा की गयी है, जिन्हें अपनाकर हम इस पर्व को और भी बेहतर तरीके के साथ मना सकेंगे तथा इसके साथ ही पर्यावरण की भी रक्षा कर सकेंगे।
  1. प्लास्टर आफ पेरिस के जगह पर्यावरण के अनुकूल प्राकृतिक पदार्थो जैसे कि मिट्टी या चंदन के लकड़ी से बनी गणपति की मूर्ति को अपनाकर भी हम जलीय जीवन को बचाने में अपना योगदान दे सकते है, क्योंकि यह चीजे पूर्ण रुप से पानी में घुल जाती है।
  2. अगर हम चाहें तो एक ही गणपति प्रतिमा का कई वर्षों तक उपयोग कर सकते है और इसे विसर्जित करने के जगह दूसरी छोटी प्रतिमाओं को विसर्जित कर सकते हैं।
  3. इंको फ्रेडली गणपति प्रतिमा का उपयोग करके। यह ऐसी प्रतिमाएं होती है, जो आसानी से पानी में घुल जाती है तथा इनमें लेड और प्लास्टर आफ पेरिस जैसी वस्तुओं का उपयोग नही किया गया होता है।
  4. ऐसी मूर्तियों को खरीदकर जिनमें कृतिम पेंट के जगह हल्दी तथा अन्य प्राकृतिक रुप से प्राप्त रंगो का उपयोग किया गया हो।
निष्कर्ष
हर त्योहार की तरह गणेश चतुर्थी का भी अपना महत्व है, यह वह दिन है जो सामाजिक एकता तथा सौहार्द को बढ़ाता है। क्योंकि भगवान गणेश को ज्ञान और विघ्नों को दूर करने वाला देवता माना गया है। इसलिए गणेश चतुर्थी पर्व को पर्यावरण के अनुकूल रुप से मनाने का महत्व और भी बढ़ जाता है। इन छोटे-छोटे उपायों को अपनाकर ना सिर्फ हम पर्यावरण सुरक्षा में अपना योगदान देंगे, बल्कि की इस त्योहार की महत्ता को और ज्यादे बढ़ा सकेंगे।

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