‘भ्रष्टाचार’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है –‘भ्रष्ट + आचार’ अर्थात ऐसा व्यवहार जो भ्रष्ट हो, जो समाज के लिए हानिप्रद हो। भ्रष्टाचार के मूल में मानव की स्वार्थ तथा लोभ वृति है। यु तो जीवन का आनंदपूर्वक निर्वाह के लिए हर व्यक्ति को धन की आवश्यकता होती है परन्तु वर्तमान युग में व्यक्ति जरुरत से अधिक धन संचय और दुसरो को हानि पहुंचकर भी धन अर्जित करने से पीछे नहीं हट रहा। हर व्यक्ति जरुरत से अधिक संसाधन जमा करने के लिए अपने नैतिक मूल्यों से आसानी से समझौता कर रहा है।
वर्तमान युग को यदि भ्रष्टाचार का युग कहा जाए, तो अत्युक्ति न होगी। आज भ्रष्टाचार न केवल सरकारी तंत्र के हर हिस्से में फ़ैल चूका है बल्कि प्रत्येक नागरिक भी इसको बढ़ावा देने में बराबर का जिम्मेदार है।
भ्रष्टाचार के मूल में शासन तंत्र बहुत हद तक उत्तरदायी है। भ्रष्टाचार की प्रवाह ऊपर से निचे की और बहता है। जब देश के बड़े – बड़े नेता ही धोटालों में लिप्त हों, तो निचे क्या होगा।
आश्चर्य की बात तो यह है कि आज तक किसी भ्रष्ट नेता या मंत्री को सजा नहीं मिली। आज भारत में भ्रष्टाचार एक आम बात है हर व्यक्ति भर्ष्टाचार अपनाकर स्वयं का मार्ग सुगम बनाना चाहता है। देश के नेता तो इस कार्य में कब से अग्रणी है ही। रोज ही करोड़ रुपये नए घोटालो की खबरे सामने आती रहती है और देश की जनता भी ऐसी खबरों की आदि हो चुकी है के मानो उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो।
भारत जिस देश को सोने के चिड़िया कहा जाता था जो देश ईमानदारी , सच्चाई , परोपकार के लिए दुनियाभर में जाना जाता था आज उस देश में स्वयं हित , लालच , झूठ और बेईमानी का घोर बोलबाला देख कर मैं अति व्याकुल हो उठता है।
ऐसा नहीं के भ्रस्टाचार केवल भारत में ही व्याप्त है यह अनेक उन्नत देशो में भी व्याप्त है लेकिन वह की कठोर शाशन व्यस्था तुरंत ऐसे मामलो का निपटारा करने में समर्थ है।
आज देश में हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार है ,कोई भी अपराध हो जाए, भ्रष्टाचारी रिश्वत देकर छूट जाता है। अनेकों बार तो उच्च अधिकारियों के सरंक्षण में ही भ्रष्टाचार पनपता है।
भ्रष्टाचार को किस प्रकार दूर किया जाए यह गंभीर प्रशन है। क्या इसी भारत के लिए भगत सिंह फांसी पर हस्ते हस्ते झूल गए थे क्या इसी भारत के लिए महातम गाँधी ने सत्याग्रह की लड़ाई लड़ी थी। क्या यही है श्रीराम का भारत , क्या यही गुरुनानक का देश है यह सब सोचकर मुझे स्वयं से भी घृण होने लगती है के हम क्यों भस्टाचार जैसी बुराई के खिलाफ अब तक चुप क्यों है यदि पचास – सौ भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा मिल जाए, तो इससे भयभीत होकर अन्य लोग भी भ्रष्ट आचरण करते समय भयभीत रहेंगे। भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा और एक भ्रष्टाचारमुक्त समाज का निर्माण करने के लिए कृतसंकल्प होना पड़ेगा।
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