यदि मैं वैज्ञानिक होता
आज के युग को वैज्ञानिक युग कहा जाता है। इस युग में किसी व्यक्ति का वैज्ञानिक होना सचमुच बड़े गर्व और गौरव की बात है। वैसे तो अतीत-काल में भारत ने अनेक महान वैज्ञानिक पैदा किए हैं फिर भी अभी तक भारत का कोई वैज्ञानिक कोई एसा अदभुत एवं अपने-आप में एकदम नया अविष्कार नहीं कर सका, जिससे भारत को ज्ञान-योग के क्षेत्रों को समान विज्ञान के क्षेत्र का भी महान एवं मार्गदर्शक देश बन पता। यह बात अक्सर मेरे हृदय को कचोटती है के में किस तरह भारत नाम फिर से विज्ञानं की दुनिया में रोशन कर दू जैसे प्राचीन काल में आर्यभट ने किया।
मैं इस प्रकार की वैज्ञानिक खोजों और अविष्कार करता कि जिस से मानव-जाति का वर्तमान तो प्रगति एवं विकास करता हुआ सुखी-समृद्ध बन ही पता, भविष्य भी हर प्रकार से सुरक्षित रह सकता। मनुष्य-मनुष्य के दुःख-दर्द का कारण न बनकर उसके आंसू पौंचकर उसकी वास्तविक उन्नति में सहायक बन पता।
यह सभी जानते हैं कि आज दुनिया के कई देश रोज नयी हथियार, बम्ब और मिसाइल बनाकर मानवता को लहूलुहान करने में हुए है। ऐसे देशों और लोगों के लिए नि:शस्त्रीकरण जैसे मुद्दों और संचियों का कोई अर्थ, मूल्य एवं महत्व नहीं है यदि में वैज्ञानिक होता, तो किसी एसी वस्तु या उपायों के अनुसन्धान का प्रयास करता कि इस प्रकार के देशों-लोगों के इरादों का मटिया -मेट कर सके। उनके सभी साधनों और निर्माण को भी वहीँ प्रतिबंधित कर एक सीमा से आगे बढ़ पाने का भी कोई अवसर ही न रहने देते।
यदि मैं वैज्ञानिक होता, तो कुछ ऐसा आविष्कार करता के के जिस से मानवता की अधिक से अधिक सेवा की जा सकती। अपनी सारी प्रतिभा और शक्ति, समय लगा देता ताकि लोगो की निराशा और दुखो का किसी तरह निवारण कर सकू । मेरा विश्वास पहले से ही अनेक कारणों से दुखी मानवता के तन पर और घावों के लिए मरहम खोजकर उन पर लगाने में हैं; ताकि सभी प्रकार के घाव सरलता से भर सकें।
विश्व के सामने आज तो अन्न-जल के आभाव का संकट है, कल-कारखाने चलाने के लिए बिजली या उर्जा का संकट है। वैज्ञानिक होने पर मैं इन जैसी अन्य सभी समस्याओं से संघर्ष करने का मोर्चा खोल देता, ताकि मानवता को इस प्रकार की समस्याओं से निजत दिलाया जा सके। इसी प्रकार आज विश्व के युवा वर्गों के सामने बेरोज़गारी की बहुत बड़ी समस्या उभरकर कई प्रकार की अन्य बुराईयों की जनक बन रही है। यदि मैं वैज्ञानिक होता, तो इस प्रकार के प्रयास करता कि रोजगार के अधिक सेअधिक अवसर सुलभ हो पते। हर काम करने के इछुक को इच्छानुसार कार्य करने का अवसर एवं साधन मिल पता। फलत: अन्य प्रकार की बुराईयों का स्वत: ही परिहार हो जाता।
वैज्ञानिक बनकर मैं मानवता का उद्धार और विस्तार करना चाहता हूँ, न कि नाम और यश कमाना।
0 comments:
Post a Comment