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Wednesday, November 14, 2018

ईद पर निबंध essay on eid in hindi 550 words

November 14, 2018
ईद-उल-फितर पर निबंध 
Eid
                ईद-उल-फितर पर अथवा ईद का त्योहार मुस्लिम समुदाय का मुख्य त्योहार है। विश्व के सभी कोनों में  फैले मुस्लिम लोग इसे बड़ी ही श्रद्धा एंव उल्लासपूर्वक मनाते हैं। वास्तव में ईद का त्योहार समाज में खुशियाँ फैलाने, पड़ोसियों के सुख-दुःख में भागीदार बनने तथा जन-मन के बीच सौहार्द फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। हमारे देश में जब ईद का त्योहार आता है, तो सभी समुदायों के व्यक्ति खुशी से झूम उठते हैं।
                मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यह उनके दृष्टिकोण में उनके लिए आत्मशुद्धि का महीना होता है। सभी मुस्लिम जन इस महीने में पूरे दिन का उपवास रखते हैं। इसका वे इतनी कठोरता से पालन करते हैं कि वे दिन भर जल की एक बून्द  भी ग्रहण नहीं करते हैं। सभी लोग दिन के पाँच बजे निश्चित समय पर खुदा को नमाज अदा करते हैं तथा अपने व सभी परिजनों की आत्मशुद्धि के लिए दुआ करते हैं। रमजान के पूरे महीने सभी मुस्लिम सूर्यास्त के पश्चात् ही भोजन व जल ग्रहण करते हैं। पंरतु इस्लाम में कुछ असहाय, बीमार तथा लाचार व्यक्तियों को व्रत से छूट दी गई है लेकिन सभी सक्षम व्यक्तियों के लिए रमजान के महीने मे व्रत रखना अनिवार्य है। रमजान महीने के अंतिम दिन सभी मुस्लिम चाँद को देखने की उत्सुकता रखते हैं क्योंकि चाँद के दिखाई देने के पश्चात् ही दूसरे दिन ईद मनाई जाती हैं।
                                सभी मुसलमान इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम से विशेष तैयारी के साथ मनाते हैं। ईद के त्योहार में संपूर्ण वातावरण एकरस हो जाता है। अमीर-गरीब, जवान या बूढ़ा सभी जनोें में बराबर उत्साह देखा जा सकता है। सभी अपनी शक्ति व सामथ्र्य एंव रूचि के अनुसार नए वस्त्र, नए आभूषण, जूते, चप्पल व अन्य भौतिक सुख की सामग्री की खरीद करते हैं। चारों ओर फलों व मिठाईयों की दुकानों मे लंबी भीड़ देखी जा सकती है। वातावरण मे एक नई रौनक आ जाती है। ईद के दृश्य का सजीव चित्रण महान् उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द ने अपनी प्रसिद्ध कहानी ईदगाह में किया है।
                                ईद के दिन प्रातःकाल बच्चे, युवक, बुढ़े सभी स्वच्छ कपड़ों में एक निश्चित समय पर ईदगाह में एकत्रित होते हैं। सभी लोग वहाँ पंक्तिबद्ध होकर नमाज अदा करते हैं। हजारों की संख्या में एकत्रित हुए लोगों के हाथ जब दुआ के लिए उठते हैं तो संपूर्ण दृश्य देखकर मन आंदोलित हो उठता है। तब ऐसा प्रतीत होता है जैसे सभी आपस में भाई-भाई हैं जिनमें परस्पर द्वेष व वैमनस्य का कोई स्थान नहीं है। नमाज अदा करने के उपरांत सभी लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं तथा ईद की मुबारकबाद देते हैं। इसके साथ ही दावतों का सिलसिला शुरू हो जाता हैं लोग नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाते हैं तथा अपने निकट संबंधियों में इसका आदान-प्रदान भी करते हैं।
                                रमजान का महीना और उसके पश्चात् ईद का पावन पर्व सभी के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यह मन की पवित्रता एंव उसकी शुद्धता हेतु मनुष्य को प्रेरित करता है। निस्संदेह यदि हम इस पावन पर्व के मूल आदेर्शों का पालन करें तो लोगों के मध्य वैर-भाव, शत्रुता अर्थात् मनुष्य का मनुष्य के प्रति भेद-भाव को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। यह त्योहार हमें भाईचारे तथा एक-दूसरे से प्रेम करने की सीख देता है।

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