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Friday, November 9, 2018

दिवाली पर होने वाले प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव pollution in diwali essay in hindi 270 words

November 09, 2018
प्रस्तावना
दिवाली हिंदु धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। यह त्योहार हमेशा  से ही काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।  इस दिन घरो तथा दुकानों को प्रकाश, मोमबत्ती और दिपों को प्रकाशित करके सजाया जाता है। परन्तु इस त्यौहार पर एक ऐसी परम्परा का चलन आजकल बहुत बढ़  गया है जिसके कारण हम सभी लोगो और इस वायुमंडल के  परेशानी भी खड़ी  हो जाती है।

 इस त्यौहार में आजकल लोग खूब पटाखे जलाते है जिसकी वजह से प्रदुषण बहुत बढ़ जाता है दीवाली पर पटाखे जलाने से उत्पन्न होने वाला धुएं वायु में मिलकर वायु प्रदूषण के स्तर और मात्रा को बढ़ाता है। 
पटाखे जलने से होने वाले धुएं से  मानव स्वास्थ्य पर भी इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। हवा नकरात्मक प्रदूषको से भर जाती है,ध्वनि प्रदूषण के कारण भी दिवाली का खुशनुमा त्योहार दुखदायी बन जाता है। पटाखों द्वारा उत्पन्न शोर-शराबे के कारण लोगो में बहरेपन की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
मनुष्यों के तरह ही दिवाली के उत्सव के दौरान बढ़े हुए वायु प्रदूषण के कारण जानवरों को भी कई तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह मासूम प्राणी पटाखों के फूटने के दौरान उत्पन्न होने वाले तेज आवाज से बचने के लिए डर के मारे इधर-उधर भागते हुए देखे जाते है।
 अभिभावको को बच्चों को इस मुद्दे के प्रति जागरुक करना चाहिए और उन्हे इसके नकरात्मक प्रभावों के बारे में बताना  चाहिए। यदि बच्चे जिद्द करे तो उन्हें केवल वो ही पटाखे दिलवाये जो ज्यादाधुआँ और तेज आवाज ना करते हो।
सरकार को पटाखों के उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता को पुनः विश्लेषण करना चाहिए  ताकि जो पटाखे काफी ज्यादा मात्रा  में वायु और ध्वनि प्रदूषण फैलाते हो, उन्हे आवश्यक रुप से प्रतिबंधित किया जा सके ।
हमें एक जिम्मेदार नागरिक के तरह व्यवहार करना चाहिए और पटाखे जलाने का बहिष्कार करना चाहिए।  हमें लोगो को प्रेरित करना चाहिए के दिवाली दीपों का त्यौहार है तो केवल दीप जलाकर मनाये।   हमें समझना होगा की पटाखे जला त्योहार की ख़ुशी  नही है बल्कि प्रदूषण को बढ़ावा देते है, 

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