गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों मे से एक है
गणपति विसर्जन के दिन पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव काफी मायने रखते हैं।
इस दिन लोग अपने घरों तथा सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित गणपति का नदियों या समुद्रों में विसर्जन करते है, जो कि पर्यावरण और जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
इस दिन लोग अपने घरों तथा सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित गणपति का नदियों या समुद्रों में विसर्जन करते है, जो कि पर्यावरण और जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
इस दस दिन लंम्बे उत्सव के दौरान काफी ज्यादे मात्रा में फूल- मालाएं, प्लास्टिक बैग और प्लास्टर आप पेरिस से बनी मूर्तियां इकठ्ठा हो जाती हैं जिन्हे सीधे तौर से समुद्रों या नदियों बहाया जाता है इनमें से अधिकतर मूर्तियां प्लास्टर आफ पेरिस से बनी होती हैं, इसलिए इसे जल में घुलने में महीनों का समय लगता है।
हम प्लास्टर आफ पेरिस के जगह पर्यावरण के अनुकूल प्राकृतिक पदार्थो जैसे कि मिट्टी या चंदन के लकड़ी से बनी गणपति की मूर्ति को अपनाकर भी हम जलीय जीवन को बचाने में अपना योगदान दे सकते है।
हम इंको फ्रेडली गणपति प्रतिमा का उपयोग कर सकते है यह ऐसी प्रतिमाएं होती है, जो आसानी से पानी में घुल जाती है
हम इंको फ्रेडली गणपति प्रतिमा का उपयोग कर सकते है यह ऐसी प्रतिमाएं होती है, जो आसानी से पानी में घुल जाती है
इन छोटे-छोटे उपायों को अपनाकर ना सिर्फ हम पर्यावरण सुरक्षा में अपना योगदान देंगे, बल्कि की इस त्योहार की महत्ता को और ज्यादे बढ़ा सकेंगे।
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