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Wednesday, November 14, 2018

महिला सशक्तीकरण (Women Empowerment) 200 words

November 14, 2018

महिला सशक्तीकरण (Women Empowerment)

महिला  जिसे कभी मात्र भोग एवं संतान उत्पत्ति की जरिया समझा जाता था, आज वह पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। जमीन से आसमान तक कोई क्षेत्र अछूता नहीं है, जहाँ महिलाओं ने अपनी जीत का परचम न लहराया हो। हालाँकि यहाँ तक का सफर तय करने के लिए महिलाओं को काफी मुश्किलों एवं संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा है। 
 जन्म से ही बालिका को क्षमा, भय, लज्जा, सहनशीलता, सहिष्णुता, नमनीयता आदि के गुणों को आत्मसात करने की शिक्षा प्रदान की जाती है।
  वास्तव में, भारत ही नहीं, बल्कि पुरे विश्व में मुख्यतः व्याप्त पुरुष प्रधान समाज ने एक ऐसी सामाजिक संरचना निर्मित की, जिसमें प्रत्येक निर्णय लेने सम्बन्धी अधिकार पुरुषों के पास ही सीमित रहे। उसे या तो 'देवी' बनाया गया या फिर 'भोग्य वस्तु' ।
 स्त्रियों जन्म से 'अबला' नहीं होती, उन्हें अबला बनाया जाता है।  समाज अपनी संस्कृति ,रीति-रिवाजों,प्रतिमानों,एवं जीवन शैली के द्वारा उसे सबला से अबला बनाता है। । 
हमने एक जीते-जागते मनुष्य को सिर्फ एक भावनात्मक रूप दे दिया, उसे 'देवी' बना दिया, लेकिन कभी भी उसकी आकांक्षाओं की परवाह नहीं की। हमने कभी माँ के रूप में, कभी पत्नी के रूप में, कभी बहन के रूप में, तो कभी बेटी के रूप में, हमेशा उसका मानसिक दोहन किया। 
आज की स्त्री न केवल पुरुषों के साथ कन्धे-से कन्धा मिलाकर चलना चाहती है, बल्कि वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बहुत आगे तक जाना चाहती है। 

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