समय चक्र की गति बड़ी अदभुद है। समय निरंतर गतिशील रहता है व्यर्थ गवाया गया समय या आलस्य के कारन व्यर्थ किया गया समय कभी वापिस नहीं आता।
विश्व में समय सबसे अधिक महत्वपूर्ण एवं मूल्यवान धन माना गया है। यदि मनुष्य की अन्य धन सम्पति नष्ट हो जाए तो संभव है वह परिश्रम, प्रयत्न एवं संघर्ष से पुनः प्राप्त कर सकता है किन्तु बीता हुआ समय वापस नहीं आता। इसी कारण समय को सर्वाधिक मूल्यवान धन मानकर उसका सदुपयोग करने की बात कही जाती है।
यदि देखा जाए तो मनुष्यो के पास औसतन 60 से 80 वर्ष की आयु होती है जो की बहुत लम्बा समय प्रतीत होती है। परन्तु यदि ध्यान से देखा जाए तो मनुष्य केवल दिन के वक्त कार्यशील रहते है और रात को विश्राम करते है यानी मनुष्य के पास केवल आधा वक्त ही शेष रहता है और इसी वक्त उसे अपने सब कार्य निपटने होते है। विद्यार्थी जीवन में तो समय का सदुपयोग बहुत जरुरी है क्युकी यदि समय पर सब विद्या सम्बंदि कार्य न पुरे हो तो आपका पूरा एक साल व्यर्थ हो जाता है।
समय कभी किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। वह निरंतर गतिशील रहता है कुछ लोग यह कहकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं कि समय आया नहीं करता वह तो निरंतर जाता रहता है और सरपट भागा जा रहा है। हम निरंतर कर्म करते रहकर ही उसे अच्छा बना सकते हैं। अच्छे कर्म करके, स्वयं अच्छे रहकर ही समय को अच्छा, अपने लिए प्रगतिशील एवं सौभाग्यशाली बनाया जा सकता है। उसके सिवाय अन्य कोई गति नहीं। अन्य सभी बातें तो समय को व्यर्थ गंवाने वाली ही हुआ करती हैं। और बुरे कर्म तथा बुरे व्यवहार अच्छे समय को भी बुरा बना दिया करे हैं।
समय के सदुपयोग में ही जीवन की सफलता का रहस्य निहित है जो व्यक्ति समय का चक्र पहचान कर उचित ढंग से कार्य करें तो उसकी उन्नति में चार चाँद लग सकता हैं। कहते हैं हर आदमी के जीवन में एक क्षण या समय अवश्यक आया करता है कि व्यक्ति उसे पहचान – परख कर उस समय कार्य आरम्भ करें तो कोई कारण नहीं कि उसे सफलता न मिल पाए। समय का सदुपयोग करने का अधिकार सभी को समान रूप से मिला है। किसी का इस पर एकाधिकार नहीं है। संसार में जितने महापुरुष हुए हैं वे सभी समय के सदुपयोग करने के कारण ही उस मुकाम पर पहुंच सके है। काम को समय पर संपन्न करना ही सफलता का रहस्य है।
आज का काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए। अपने कर्तव्य धर्म को करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। कोई कार्य छोटा हो या बड़ा यह भी नहीं सोचना चाहिए। वास्तव में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं हुआ करता है। अच्छा और सावधान मनुष्य अपनी अच्छी नीयत, सद्व्यवहार और समय के सदुपयोग से छोटे या सामान्य कार्य को भी बड़ा और विशेष बना दिया करता है।
विश्व के आरम्भ से लेकर आज तक के मानव जो निरंतर रच रहा है, वह सब समय के सदुपयोग के ही संभव हुआ और हो रहा है। यदि महान कार्य करके नाम यश पाने वाले लोग आज भी आज – कल करते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते तो जो सुख आनंद के तरह – तरह के साधन उपलब्ध हैं वे कतई और कभी न हो पाते। मनुष्य और पशु में यही तो वास्तविक अंतर और पहचान है कि मनुष्य समय को पहचान उसका सदुपयोग करना जनता है , जबकि पशु – पक्षियों के पास ऐसी पहचान – परक और कार्य शक्ति नहीं रहा करती।
मानव जीवन नहीं के एक धरा के सामान है जिस प्रकार नदी की धरा अबाध कटी से प्रवाहित होती रहती है ढीक उसी प्रकार मानव – जीवन की धरा भी अनेक उतर – चढ़ावों के गुजरती हुई गतिशील रहती है। प्रकर्ति का कण – कण हमें समय पालन की सीख देता है। अतः मनुष्य का कर्तव्य है जो बीत गया उसका रोना न रोये अर्थात वर्तमान और भविष्य का ध्यान करें इसलिए कहा है – ‘ बीती ताहि बिसर दे आगे की सुधि लेई ‘
एक – एक सांस लेने का अर्थ है समय की एक अंश कम हो जाना जीवन का कुछ छोटा होना और मृत्यु की और एक – एक कदम बढ़ाते जाना। पता नहीं कब समय समाप्त हो जाये और मृत्यु आकर साँसों का अमूल्य खजाना समेत ले जाये। इसलिए महापुरुषों ने इस तथ्य को अच्छी तरह समझकर एक सांस या एक पल को न गवाने की बात कही है। संत कबीर का यह दोहा समय के सदुपयोग का महत्व प्रतिपादित करने वाला है।
” काल्ह करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल मैं परले होयेगी, बहुरि करोगे कब। “
समय का महत्व एवं सदुपयोग पर हिन्दी निबंध
ReplyDeleteVery Helpful Blog and for more information about Essay on the importance of time in Hindi keep share more information
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