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Tuesday, November 13, 2018

रविन्द्र नाथ टैगोर निबंध-Essay On Rabindranath Tagore In Hindi 350 words

November 13, 2018

रविन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई , 1861 को कलकत्ता में हुआ था। इनका पूरा नाम रविन्द्र नाथ ठाकुर था। इनके पिता का नाम देबेन्द्रनाथ टैगोर था और माता का नाम सारदा देवी था। रविन्द्र नाथ जी की अधिकांश शिक्षा घर पर ही हुई थी। 
सन् 1868 से सन् 1874 तक इन्होने स्कूली शिक्षा प्राप्त की थी। सन् 1874 के बाद इनकी स्कूली शिक्षा बंद हो गई थी। 17 साल की उम्र में वकालत की पढाई के लिए इन्हें इनके भाई के साथ इंग्लेंड भेजा गया ।
13 वर्ष की उम्र में उनकी सबसे पहली कविता पत्रिका में छपी थी। टैगोर जी एक दार्शनिक , कलाकार और समाज सुधारक भी थे। कलकत्ता के निकट इन्होने एक स्कूल की स्थापना की थी जो आज विश्व भारती के नाम से बहुत प्रसिद्ध है।
रविन्द्र नाथ जी सन् 1905 तक एक बहुत बड़े कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गये थे।  रविन्द्र नाथ जी ने सन् 1877 तक अनेक रचनाएँ की थीं जिनका प्रकाशन अनेक पत्रिकाओं में हुआ था।

 सन् 1905 के बंग-भंग के दौरान वे विभिन्न आंदोलनों में भाग लेते रहे थे। जब सन् 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था तो उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दी गई सर की उपाधि को वापस लौटा दिया था। 
सन् 1892 में रविन्द्र नाथ जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता , घरेलू उद्योंगों के विषयों पर बहुत ही गंभीर लेख लिखे थे। इसी के साथ ही उनका कविता लेखन भी चलता रहा था।  वह  गीतांजली  और गोरा जैसे महान नामक ग्रन्थ के रचयिता थे। 
टैगोर जी एक महान शिक्षाशास्त्री थे।  शिक्षा में सुधार के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। 
 रविन्द्र नाथ जी की साहित्य सेवाओं के लिए  सन् 1913 में उन्हें विश्व के सर्वोत्तम सम्मान  नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
आज के समय में जब भी राष्ट्रगान के मधुर स्वर कानों में पड़ते हैं तो सभी को कविगुरु रविन्द्र नाथ जी की याद आ जाती है। भारत के इतिहास में रविन्द्र नाथ जी को युगों तक याद किया जायेगा।
रविन्द्र नाथ जी की मृत्यु 7 अगस्त , 1941 को कलकत्ता में किडनी इंफेक्शन की वजह से हुई थी।रविन्द्र नाथ जी ने भारत  देश के नाम को पूरी दुनिया में अमर कर दिया था। उनका विश्व साहित्य के योगदान अद्वितीय है  वे एक ऐसे प्रकाश स्तम्भ थे जिन्होंने अपने प्रकाश से पुरे संसार को आलोकित किया था।

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